मध्य प्रदेश

एमपी में 7000 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों की कुंडली तैयार, एफआईआर के लिए 300 से ज्यादा मामले पुलिस को दिए …

भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार अवैध कॉलोनियों के मामले में पहली बार सख्ती दिखाने जा रही है। पूरे प्रदेश में कार्रवाई के लिए 7000 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों की सूची तैयार की गई है। इन कॉलोनियों के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ एफआईआर की तैयारी है। इसके लिए सभी जिलों में फाइनल सर्वे कर सीधे एफआईआर कराने के लिए मौखिक आदेश दे दिए गए हैं। इस निर्देश के बाद उज्जैन, रतलाम और गुना में लगभग 300 से ज्यादा अवैध कॉलोनाइजरों की सूची पुलिस को एफआईआर के लिए भेजी है।

उल्लेखनीय है कि यह सारा मामला इन कॉलोनियों में रह रहे 7 लाख से ज्यादा परिवारों से जुड़ा है। इतने परिवारों का मतलब है 15 लाख से ज्यादा वोट। ये सभी लोग सबसे ज्यादा इन कॉलोनाइजरों से पीड़ित हैं। पिछली बार यानी 2018 में जब इन कॉलोनियों को वैध करने की तैयारी थी, तब भी लोग नाराज थे कि अफसरों ने अवैध कॉलोनाइजरों को सीधे बचा लिया है। लेकिन, इस बार सरकार विधानसभा चुनाव से पहले इन कॉलोनियों को वैध करने की कोशिश में है, ताकि चुनावी फायदा मिल सके। इसलिए पहले सभी कॉलोनाइजरों पर केस दर्ज कराए जा रहे हैं, ताकि लोगों का गुस्सा ठंडा हो जाए।

सरकार प्रदेश के सभी जिलों में अवैध कॉलोनियों का करा रही सर्वे

प्रदेश में साल 2015 तक 6500 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की गई थी, इन्हें वैध करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी और 5500 अवैध कॉलोनियों को वैध कर दिया था लेकिन कुछ लोग हाईकोर्ट चले गए थे। इसके बाद 2020 में प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बन गई। इसके बाद सुझावों के आधार पर नगरीय निकाय अधिनियम में संशोधन कर अनधिकृत कॉलोनियों को नियमितीकरण का प्रावधान शामिल किया। अवैध कॉलोनियों के निर्माण को रोकने के लिए अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर करने का प्रावधान इसी का हिस्सा है। अब सभी जिले में अवैध कॉलोनियों का सर्वे हो रहा है। प्रदेश में अवैध कॉलोनियों की संख्या 7000 तक पहुंच गई है।

10 सालों में 30 जिलों में सिर्फ 226 कॉलोनाइजरों पर दर्ज हो पाए केस

  • –  प्रदेश के इंदौर में सबसे ज्यादा 900 अवैध कॉलानियां हैं, लेकिन 10 सालों में केवल 40 कॉलोनाइजर पर ही एफआईआर हुई, जबकि भोपाल में 300 में से 45 एफआईआर हुई।
  • –  इंदौर-भोपाल के बाद सबसे ज्यादा 359 अवैध कॉलोनी सागर जिले में हैं। एफआईआर 5 पर हुई।
  • –  धार जैसे जिले में 52 कॉलोनियां हैं, परंतु एफआईआर एक पर दर्ज की गई। वहीं, खंडवा में 334 में से 3 पर ही केस दर्ज किया गया है।
  • –   दतिया जिले में तो सरकारी रिकार्ड में कोई रजिस्टर्ड कॉलोनाइजर ही नहीं है, जबकि यहां 32 अवैध कॉलोनियां हैं। यहां 10 सालों में 10 पर एफआईआर की गई है।
  • –  शिवपुरी जिले में अवैध कॉलोनियों की संख्या 182 है, लेकिन 10 वर्ष में कार्रवाई 12 पर हुई है।
  • –   उज्जैन जिले की 165 अवैध कॉलोनियों में से 44 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
  • –   रतलाम जिले में 157 अवैध कॉलानी हैं, जिसमें से 27 पर केस दर्ज किया गया है।
  • –   देवास जिले में 140 में से 17 अवैध कॉलानाइजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
  • –   अशोकनगर जिले में अवैध कॉलानियों की संख्या 105 है, जबकि यहां अफसरों ने एक भी एफआईआर नहीं कराई है।
  • –   खरगोन जिले की 89 कॉलोनियों में से एफआईआर केवल 4 के खिलाफ दर्ज कराई गई है।

प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस संबंध में कहा कि प्रदेश की 7000 अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे 7 लाख परिवारों के मकानों को वैधता प्रदान करने के लिए नगरीय निकाय अधिनियम में संशोधन किया है। नए प्रावधानों के तहत अनधिकृत कॉलोनी बनाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी और इन कॉलोनियों में रह रहे लोगों को सुविधाएं दी जाएंगी।

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