मध्य प्रदेश

करणी सेना का आंदोलन जारी, आंदोलनकारियों और सरकार में नहीं बन पा रही बात

मंत्री के साथ हुई चार बार बैठकें, लेकिन बेनतीजा रहीं, मांगें नहीं मानी तो आंदोलन लंबा खींचने की भी तैयारी

भोपाल। राजधानी के भेल क्षेत्र में चार दिन से चल रहा करणी सेना का आंदोलन तेज होता जा रहा है। सरकार और आंदोलनकारियों में मांगों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। रविवार शाम से लेकर अब तक करणी सेना के प्रतिनिधियों की मंत्री अरविन्द भदौरिया से चार बार बैठक हुई, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। यह धरना चौथे दिन बुधवार को भी जारी है। प्रदर्शनकारी के पास अभी 15 दिन के राशन का इंतजाम है। संगठन के 5 पदाधिकारी और समर्थक बिना अनुमति आम रास्ता रोककर महात्मा गांधी चौराहे पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। 8 दिसंबर रविवार को 5 लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे, लेकिन मंगलवार को दो और लोगों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। इससे संख्या 7 हो गई।

वहीं, करणी सेना परिवार के धरने और अनशन के कारण महात्मा गांधी चौराहे से अवधपुरी तिराहे तक रास्ता बंद है। इससे अवधपुरी और आसपास की 2 लाख की आबादी परेशान है। उन्हें डायवर्टेड रूट से लंबा चक्कर लगाकर आना-जाना पड़ रहा है। हालांकि, संगठन ने पुलिस कमिश्नर से जंबूरी मैदान में सम्मेलन के लिए एक दिन (रविवार) की अनुमति ली थी। करणी सेना को अन्य संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। इससे यहां भीड़ बढ़ गई है। इसके चलते महात्मा गांधी चौराहे से अवधपुरी तिराहे तक रास्ता बंद है। इससे अवधपुरी और आसपास की 2 लाख से अधिक की आबादी परेशान है। उन्हें डायवर्टेड रूट से लंबा चक्कर लगाकर आना-जाना पड़ रहा है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 3000 पुलिसकर्मी मौके पर तैनात हैं।

अवधपुरी जाने वाली रोड पर धरना

करणी सेना परिवार और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। सोमवार को करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर अपने साथियों के साथ जंबूरी मैदान से एमपी नगर के लिए बढ़े, तो उन्हें पुलिस ने भेल के गांधी चौराहे पर ही बैरिकेडिंग कर रोक लिया। इसके बाद से ही करणी सेना के लोग आज मंगलवार को भी अवधपुरी जाने वाली रोड पर ही धरने पर बैठे हुए थे। यहां उन्होंने श्रीराम स्तुति की। भजन – रघुपति राघव राजा राम गाया।

धरने से पहले अनुमति लें: एडिशनल डीसीपी

एडिशनल डीसीपी राजेश भदौरिया ने बताया पुलिस की सुरक्षा की दृष्टि से सभी व्यवस्था की गई है। इनके नेतृत्वकर्ताओं को बताया गया है कि अनुमति नहीं है। प्रॉपर अनुमति लें। प्रजातांत्रिक तरीके से धरने पर बैठें। अभी इनकी तरफ से कोई एप्लिकेशन नहीं आई है। इनसे चर्चा की गई है कि शांतिपूर्ण तरीके से कोई धरना देता है, तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रॉपर अनुमति लें। इधर, दोपहर 2 बजे प्रदर्शन स्थल पर ही सभी ने खाना खाया। आंदोलन में शामिल सभी लोगों के खाने का इंतजाम किया गया है। जो भी शामिल होने आ रहा है, कुछ न कुछ राशन लेकर आ रहा है। यहां 15 दिन के खाने का भरपूर इंतजाम है।

मंत्री के साथ 4 बैठकें हुईं, लेकिन हल नहीं निकला

करणी सेना के आंदोलन के चलते भोपाल के भेल, पिपलानी, अवधपुरी जाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। करणी सेना के लोग अपनी 21 सूत्रीय मांगों का लिखित में सरकार की ओर से निराकरण के लिए मंत्रियों की कमेटी बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। रविवार शाम से लेकर सोमवार तक करणी सेना परिवार के प्रतिनिधियों की मंत्री अरविन्द भदौरिया से चार बार बैठक हुई, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। इधर, करणी सेना परिवार के आंदोलन की आग प्रदेश के दूसरे जिलों में भी फैल रही है। आज खंडवा, आगर और शाजापुर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुतले जलाए गए।

कांग्रेस हमारी मांग विधानसभा में उठाए

प्रदर्शन में विनोद सुनार्थी, रानायरा जिला रतलाम से आए हैं। उनका कहना है कि हमारी 21 सूत्रीय मांगें सही हैं। हम नहीं, सरकार परेशान कर रही है। हम तो जा रहे थे, सरकार के कहने पर पुलिस ने रास्ता रोका है। मंत्री अरविंद भदौरिया से अभी बात हुई। हम कह रहे हैं आइए मान लीजिए हमारी मांग। इसमें कौन सी मांग लोकतांत्रिक नहीं है। कांग्रेस ने अगर हमारी मांग का समर्थन किया है, तो बहुत अच्छी बात है। सभी राजनैतिक दल को समर्थन करना चाहिए। कांग्रेस से बस ये कहना है कि अगर समर्थन किया है तो हमारी 22 सूत्रीय मांग विधानसभा में उठाए।

आंदोलन बीजेपी के खिलाफ, कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं : कमलनाथ

इधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस आंदोलन पर कहा कि मुख्यमंत्री और सरकार को करणी सेना के लोगों से बात करना चाहिए। कोई भी बात हो, उस पर चर्चा होना चाहिए। समझना चाहिए कि क्या उनका आक्रोश है। उस आक्रोश को सुनकर जो सही हो, वो मानना चाहिए। भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कमलनाथ ने कहा, अगर हमारी सरकार आती है तो हम उनसे बात करेंगे। मैंने यही परंपरा बनाई थी कि सब से बात करो। कई ऐसी बात होती हैं, जो सरकार के समझ में नहीं आतीं। इसीलिए अधिकारी उनके साथ मीटिंग कर लें, फिर मुख्यमंत्री बात कर लें। कांग्रेस के आंदोलन को समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये आंदोलन बीजेपी सरकार के खिलाफ है। इसमें कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। ये एक समाज कर रहा है, तो कांग्रेस इसमें क्या हस्तक्षेप कर सकती है। करणी सेना के लोग हमसे बात करना चाहते हैं, तो हम जरूर करेंगे।

ओरछा धाम से प्रण लेकर निकला है मानवेंद्र सेंगर

मंगलवार से भूख हड़ताल पर एक स्टूडें मानवेंद्र सेंगर (22 वर्ष) है, जो ओरछा (जिला निवाड़ी) का निवासी है। उसके पिता का ट्रांसपोर्ट का काम है। वह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से एलएलबी कर रहा हैं। वहीं, दूसरा रतलाम के रानायरा निवासी विनोद सुनार्थी (30 वर्ष)। दोनों ही आंदोलन में शामिल होने भोपाल आए हैं। मानवेद्र के अनुसार वह अपने घर ओरछा से निकलते वक्त राम राजा मंदिर ओरछा धाम से प्रण लेकर निकला था कि आंदोलन में शामिल होते ही अन्न त्याग दूंगा, लेकिन समिति ने भूख हड़ताल के लिए पहले ही पांच लोग नियुक्त कर दिए थे। जीवन दादा से न मिल पाने की वजह से किसी को पता नहीं चला। मंगलवार की सुबह सबको पता चला कि एक 22 साल का लड़का भी भूख हड़ताल पर है। इस पर मुझे बुलाकर साथ में शामिल किया गया और मेडिकल चेकअप कराया। उसने कहा कि सरकार बाहर के लोगों को खाना खिला रही है, लेकिन प्रदेश के लोगों की कोई चिंता नहीं है।
आंदोलन में शामिल होने रतलाम से पैदल चलकर आया भोपाल, पैर में पड़े छाले
विनोद सुनार्थी ने बताया मेरा परिवार खेती करता है। अनुसूचित जाति से आता हूं। 340 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय कर 7 जनवरी को भोपाल पहुंचा था। 3 दिसंबर की दोपहर 3 बजे रतलाम से पैदल चले थे। पैरों में छाले पड़ गए। विनाेद का कहना है कि जब मैंने 21 सूत्रीय मांग पढ़ी, तो मुझे भी लगा कि बदलाव होना चाहिए। मन में आया कि इस बदलाव को अपने गांव से ही शुरू करते हैं, बस इसीलिए पैदल ही चल दिया। रोजाना रात 12 बजे तक चलता था। रास्ते में किसी परिचित का घर होता, तो वहीं पर आराम कर लेता, वरना किसी ढाबे पर रुक जाता। इस तरह से भोपाल पहुंचा। मैं 21 सूत्रीय मांग का समर्थन करता हूं। आरक्षण की जो बात हो रही है, वो इस आधार पर हो रही है कि आरक्षण रहेगा, लेकिन आर्थिक आधार पर। गरीबी जाति देखकर नहीं आती। हर वर्ग में गरीब हैं। जनरल और ओबीसी को भी उनका हक मिलना चाहिए। एससी-एसटी को तो उनका हक मिल ही रहा है। दूसरा एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन होना चाहिए। मैंने करीब 100 मामले ऐसे देखे कि लोग एट्रोसिटी एक्ट का गलत फायदा उठा रहे हैं। जांच नहीं होती है। जो निर्दोष होता है, उसे भी जेल भेज दिया जाता है। मैं इस परिवर्तन के लिए पैदल चलकर आया हूं।
करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने खिलाई कसम : बीजेपी को वोट मत देना
आंदोलन के तीसरे दिन मंगलवार को करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह प्रदर्शनकारियों और अपने समर्थकों को भाजपा को वोट नहीं देने की कसम खिलाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में वह यह कह रहे हैं कि हम परिवर्तन करने आए हैं, व्यवस्था में परिवर्तन तभी आएगा। मर जाना, लेकिन कसम खालो बीजेपी को वोट नहीं देना। अगर जीवन सिंह के मरने के बाद भी उसे जीवित रखना है, तो मेरे मरने के बाद कोई उपद्रव नहीं करना, बल्कि ऐसे ही शांतिपूर्ण तरीके से यहीं बैठे रहना।

Back to top button