छत्तीसगढ़रायपुर

मोदी सरकार में महिलायें न सदन के बाहर न सदन के अंदर, कहीं भी सुरक्षित नहीं ….

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि संसद में जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ की दो महिला सांसदों एक आदिवासी वर्ग की फूलोदेवी नेताम और पिछड़ा वर्ग की छाया वर्मा इन पर जिस तरीके से भाजपा के पुरूष सांसदों ने और मार्शलों ने हमला किया वह बेहद और शर्मनाक है। छत्तीसगढ़ की महिला सांसदों का यह अपमान छत्तीसगढ़ के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। घूसे बरसाये गये इन महिला सांसदों पर धक्का देकर गिराया गया। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता इस बर्बरता और असंसदीय आचरण को उचित साबित करने के लिये राजधानी रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस करते है, इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है?

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि बीमा विधेयक को बिना चर्चा पारित करने के लिये रचे गये षड़यंत्र को जायज ठहराने के और छत्तीसगढ़ भाजपा द्वारा की गयी पत्रकारवार्ता झूठ पर आधारित है। न सदन के बाहर न सदन के अंदर, मोदी सरकार में महिलायें कहीं सुरक्षित नहीं।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के सांसदों ने और संसद के मार्शलों ने छत्तीसगढ़ की नारी शक्ति का और छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परंपराओं का अपमान किया है। संस्कारी प्रदेश छत्तीसगढ़ है इस पर कोई असहमति नहीं हो सकती है। लेकिन संसद में जो कुछ भी हुआ उससे तो संस्कार टूटे है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा को चुनौती देता हूं कि 10 सेकंड का फुटेज जारी करने के बजाय पूरे घटनाक्रम का फुटेज जारी करने का साहस दिखाये ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। महिला सांसदो पर हमला करने के लिये पुरुष सांसद आये और बाहरी तत्वों को बुलाया जाये। यह कौन सा संस्कार है भाजपा को बताना चाहिये?

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि बीमा विधेयक को पारित कराने के लिये संसदीय आचरण और मर्यादा को तार-तार करने वाले लोग छत्तीसगढ़ को और कांग्रेस को मर्यादा नैतिकता की शिक्षा न दें। भाजपा की नैतिकता और मर्यादा तो हम छत्तीसगढ़ के लोग भली-भांति जानते है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी जी भी छत्तीसगढ़ भाजपा के नैतिकता और मर्यादा के मानदंडों को बखूबी जानते समझते है। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर्यवेक्षक बन के वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ में आये थे और उनके साथ जो कुछ हुआ उसको वे भी नहीं भूले होंगे और छत्तीसगढ़ के लोग भी नहीं भूले हैं। इसके पहले भी किसान विरोधी तीन काले कानूनों को पास कराने के लिये ऐसी ही अलोकतांत्रिक कार्यविधि अपनाई गयी थी।

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