मध्य प्रदेश

पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार पर लगाया 25 हजार का जुर्माना

जवाब पेश करने एक सप्ताह की मोहलत, 11 को होगी अगली सुनवाई

भोपाल। हाईकोर्ट जबलपुर ने बहुचर्चित पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पूर्व निर्देश के बावजूद जवाब पेश न किए जाने के रवैये से सरकार को आड़े हाथों लिया। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने राज्य शासन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही जुर्माना सहित जवाब पेश करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी गई है। मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।

जनहित याचिकाकर्ता मप्र ला स्टूडेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता वी. बघेल की ओर से पक्ष रखा गया। दलील दी गई कि वर्ष 2010 से 2015 तक प्रदेश के सैकड़ों निजी पैरामेडिकल कालेज संचालकों ने फर्जी छात्रों को प्रवेशित दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति राशि का घोटाला कर दिया। शिकायतों के बाद जब जांच हुई तो पाया गया कि जिन छात्रों के नाम पर राशि ली गई थी, वे कभी परीक्षा में बैठे ही नहीं थे। इसके अतिरिक्त एक ही छात्र के नाम पर कई कालेजों में एक ही समय में छात्रवृत्ति निकाली थी। इस पूरे मामले में जांच के बाद प्रदेश भर में 100 से ज्यादा कालेज संचालकों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज हुई थी। पूरे प्रदेश में निजी पैरामेडीकल कालेजों से करोड़ों रुपये की वसूली के आदेश जारी हुए थे। लेकिन अधिकारियों और कालेजों की मिलीभगत से करोड़ों रुपयों की वसूली आज तक नहीं हो सकी है।

लोकायुक्त में दर्ज हुए सौ से ज्यादा मामले

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को अवगत कराया गया कि पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले में प्रदेश भर के कालेजो एवं अधिकारियों के विरुद्ध 100 से ज्यादा मुकदमे लोकायुक्त में दर्ज हैं। हाईकोर्ट ने इस जानकारी को गंभीरता से लेकर हर हाल में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

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