कोरबाछत्तीसगढ़

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा- तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को बीमा योजना का लाभ दिलाएं और उनके बच्चों के लिए संचालित छात्रवृत्ति योजना तुरंत करें प्रारंभ

 

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल) । राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से आज यहां राजभवन में वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली और तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना, छात्रवृत्ति योजना, बोनस राशि तथा अन्य विषयों की समीक्षा की। बैठक में वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, राज्यपाल एवं श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा और छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला उपस्थित थे। राज्यपाल ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को अभी वर्तमान में किसी बीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्हें तत्काल बीमा का लाभ दिया जाए, ताकि उनके परिवार की सुरक्षा हो सके और अन्य परिस्थितियों में उन्हें सहायता मिल सके। उन्होंने कहा कि यह ज्ञात हुआ है कि 1 जून 2019 से नवीनीकरण नहीं कराए जाने के कारण बीमा योजना बंद है। किन परिस्थितियों में यह बंद हुई, उनका निराकरण करते हुए शीघ्र प्रारंभ करें और इस संबंध में महीने भर के भीतर कार्यवाही की जाए।

राज्यपाल ने कहा कि संग्राहक परिवारों के बच्चों के लिए वर्ष 2018 और 2019 के छात्रवृत्ति योजना की राशि अभी तक जारी नहीं हुई है। इससे संग्राहक परिवारों के बच्चों को तकलीफ हो रही है। इस संबंध में हमें मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कार्य करना होगा और ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि मिल सके सीधे और समय पर मिल सके, ताकि उनका अपनी पढ़ाई में उपयोग कर सकें। उन्होंने इस संबंध में एक महीने के भीतर कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

राज्यपाल ने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को वर्ष 2018 और 2019 की प्रोत्साहन राशि (बोनस) नहीं मिलने के विषय पर कहा कि यह राशि करीब 597 करोड़ रूपए अभी भी उपलब्ध है। यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों की ही है। इसे अभी तक वितरित कर दिया जाना चाहिए था। इस समय कोविड-19 के कारण तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को भी अन्य आय का जरिया नहीं होने के कारण आर्थिक आवश्यकताएं हैं। बोनस मिलने से उनकी आवश्यकताएं पूर्ण होंगी। उन्होंने बोनस की राशि जल्द जारी करने के निर्देश दिए।

राज्यपाल सुश्री उइके ने पिछले दिनों बीजापुर, सुकमा इत्यादि क्षेत्रों में तेंदूपत्ता के पारिश्रमिक के आदिवासियों द्वारा नगद भुगतान किये जाने की मांग पर कहा कि उन क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली मैदानी क्षेत्रों जैसी नहीं है। साथ ही वहां नेटवर्क की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सीधे खाते में भी राशि स्थानांतरित किये जाने में कठिनाई हो रही है। अतः आदिवासियों को जो व्यवस्था सुविधाजनक हो, उसके अनुरूप ही राशि प्रदान करें। राज्यपाल ने उनके द्वारा गोद लिए गए सल्फीपदर गांव में आवश्यक सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए और कहा कि वन विभाग द्वारा अन्य विभागों से समन्वय करके वहां के निवासियों की मांग पूरी करें। वहां पर आदिवासियों द्वारा जो काली मिर्च की खेती की जा रही है, उसके लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करें।

सुश्री उइके ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा। राज्यपाल ने कहा कि वन क्षेत्रों में पाये जाने वाले लघु वनोपजों की विपणन की अच्छी व्यवस्था की जाए और उन्हें उपयुक्त बाजार दिलाएं, जिससे वनोपजों की वास्तविक कीमत मिले। उनके द्वारा संग्रहित वन उत्पादों को प्रत्यक्ष रूप से मार्केट से लिंक करें। आदिवासियों को खादी ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य संस्थाओं से जोड़कर ऋण सहायता दिलाया जाए। साथ ही उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। आदिवासी युवाओं के लिए स्वरोजगार मिले, इसके लिए उन्हें कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा बन सके।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक चतुर्वेदी ने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के विषय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग नोडल विभाग है। इस संबंध में वन विभाग जनजाति विभाग के साथ समन्वय बनाए हुए हैं और विभाग द्वारा पूरा सहयोग प्रदान किया जाएगा। इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रशिक्षण का एक चक्र पूरा हो चुका है।

श्री शुक्ला ने बताया कि पूर्व में तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना/प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना संग्राहक के मुखिया के लिए संचालित थी, जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा 50 प्रतिशत और शेष 50 प्रतिशत राज्य सरकार और लघु वनोपज संघ द्वारा सहायता दी जाती थी। यह योजना एक वर्ष के लिए थी। भारतीय जीवन बीमा निगम केन्द्रीय कार्यालय द्वारा सूचित कर दोनों योजना बंद कर दी गई है। इसके स्थान पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए श्रम विभाग के अन्तर्गत असंगठित कामगार अधिनियम के तहत पंजीकृत कर लाभ दिलाया जाएगा। लघु वनोपज संघ द्वारा जो बीमा भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा करवाया जाता था, अब उसे सीधे संग्राहकों को दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

Back to top button