मध्य प्रदेश

कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर : मई में बढ़ सकता है 4% महंगाई भत्ता, केंद्र सरकार ने जनवरी से महंगाई भत्ते में की है 4% की वृद्धि

मप्र में अभी कर्मचारियों को 38 प्रतिशत की दर से मिल रहा भत्ता

भोपाल। मध्य प्रदेश के साढ़े सात लाख से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में सरकार वृद्धि करेगी। मई में चार प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया जा सकता है। अभी कर्मचारियों को 38 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है, जिसे केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर किया जाएगा।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर को जनवरी से 42 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता और राहत दी जा रही है। हालांकि, प्रदेश के पेंशनर को अभी महंगाई राहत में वृद्धि के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछली वृद्धि को लेकर ही अब तक सहमति नहीं दी है। शिवराज सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि के लिए यह व्यवस्था लागू की थी कि जैसे ही केंद्र सरकार वृद्धि करेगी, उसे मध्य प्रदेश में भी लागू कर दिया जाएगा। 2018 के पहले तक यह व्यवस्था लागू रही। कमल नाथ सरकार में यह क्रम टूट गया जो फिर अब तक पटरी पर नहीं आया है।
कोरोना संकट के कारण महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं हुई। केंद्र सरकार ने मार्च में महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत की वृद्धि की है, जो जनवरी 2023 से देय है लेकिन प्रदेश में अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगले माह सरकार महंगाई भत्ता बढ़ा सकती है। इसके लिए बजट प्रविधान किया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मई में कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से उनकी मांगों को लेकर चर्चा करेंगे। उस समय महंगाई भत्ते और राहत में वृद्धि की घोषणा होगी। हालांकि, पेंशनर को इसका लाभ तत्काल नहीं होगा। दरअसल, राज्य पुनर्गठन अधिनियम के प्रविधान अनुसार महंगाई राहत में वृद्धि के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच सहमति अनिवार्य है। अभी पेंशनर को 33 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत मिल रही है। इसे महंगाई भत्ते के बराबर 38 प्रतिशत करने के लिए वित्त विभाग ने सहमति मांगी है, जो अप्राप्त है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार जितनी वृद्धि की सहमति देगी, उतने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। उधर, पेंशनर एसोसिएशन मध्य प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि सहमति की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार इसको लेकर दोनों राज्यों के मुख्य सचिव को आपसी सहमति से निर्णय लेने के लिए कह चुकी है पर ऐसा नहीं किया जा रहा है। संगठन अपनी मांगों को लेकर मई में प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगा।

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