छत्तीसगढ़बिलासपुर

गुरु घासीदास नेशनल पार्क में पांच नील गाय छोड़ी गई, कानन पेंडारी से 21 नील गाय खुले जंगल में भेजी गईं …

बिलासपुर । कानन पेंडारी से 21 नील गाय और 65 चीतलों को जंगल में शिफ्ट करने की प्रक्रिया नवंबर माह में शुरू की गई थी। हालांकि सीजेडए ने शिफ्टिंग की मंजूरी बारिश शुरू होने से पहले ही दे दी थी। लेकिन बारिश के दिनों में उन्हें नहीं छोड़ा गया। नवंबर में प्रक्रिया शुरू हुई। प्रारंभ में नील गाय को ट्रेंक्यूलाइज करके वाहन में डाला जाता था। इसके लिए जा दवा उपयोग में लाई जा रही थी वह कारगर साबित नहीं हुई। तीसरी शिफ्टिंग के दौरान जिन नील गाय को बेहोश किया गया था वे 10 मिनट बाद ही होश में आ गईं थीं इसलिए उन्हें वाहन में नहीं डाला जा सका।

कानन पेंडारी से रविवार को पांच नील गाय बैकुंठपुर जिले के गुरु घासीदास नेशनल पार्क में ले जाकर छोड़ी गईं। इन्हें मिलाकर कुल 21 नील गाय खुले जंगल में अब तक छोड़ी गईं हैं। जिनमें 14 नर और 7 मादा नील गाय हैं। इस तरह से कानन पेंडारी से नील गाय और 65 चीतल जंगल में छोड़ने का काम पूरा कर लिया गया है।

इसके बाद मैसूर के जू से संपर्क कर वहां के डाक्टरों के मुताबिक वहां से वन्यप्राणियों को बेहोश करने की दवा मंगाई गई। लेकिन वह भी कारगर साबित नहीं हुई। अंतत: कानन प्रबंधन ने बोमा बनाकर नील गाय को सीधे वाहन के अंदर ले जाने का निर्णय लिया और दो-दो करके 16 चीतल शिफ्ट किए। इसके बाद अंत में पांच बचे नील गाय को पकड़ने के लिए रविवार को सुबह 9 बे से प्रक्रिया शुरू की गई और उन्हें 10.30 बजे तक वाहन के अंदर डाल दिया गया।

जब बेहोशी की दवा ने काम करना बंद कर दिया तब कानन पेंडारी प्रबंधन और डाक्टरों ने नील गायों को पकड़ने की तकनीक बदली और बोमा बनाकर उन्हें पकड़ना शुरू किया। यह काम नीलगाय को बेहोश करने से ज्यादा आसान था। सभी जानवर आसानी से वाहन के अंदर जाते गए।

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