मध्य प्रदेश

एमपी में उपभोक्ताओं की जेब फिर से काटने की तैयारी में बिजली कंपनियां, 3 फीसदी महंगी हो सकती है घरेलू बिजली

मध्यप्रदेश में इस साल बिजली कंपनियां दो बार बढ़ा चुकी हैं बिजली के दाम

भोपाल। मध्यप्रदेश में महज छह महीने बाद बिजली कंपनियां एक बार फिर उपभोक्ताओं की जेब काटने की तैयारी में हैं। बिजली कंपनियों ने घाटे का हवाला देते हुए घरेलू बिजली के दामों में 3% के इजाफे की सिफारिश की है। यही नहीं, पहली बार मेट्रो ट्रेन के लिए बिजली की नई टैरिफ का भी प्रस्ताव है।
प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने मप्र विद्युत विनियामक आयोग को बिजली की दरें बढ़ाने की याचिका दायर की है। इसी याचिका में मेट्रो ट्रेन के लिए नया टैरिफ निर्धारित किए जाने का प्रस्ताव दिया है। मप्र में अभी घरेलू, गैर घरेलू, रेलवे सहित अन्य को मिलाकर 9 प्रकार के टैरिफ का निर्धारण विद्युत विनियामक आयोग द्वारा किया जाता है। गौरतलब है कि भोपाल और इंदौर में मेट्रो का काम तेजी से चल रहा है। संभावना जताई जा रही है कि साल 2023-24 तक भोपाल और जबलपुर में मेट्रो चालू हो जाएगी। इसी को देखते हुए बिजली कंपनियों ने अभी से मेट्रो के लिए दी जाने वाली बिजली के लिए टैरिफ निर्धारित करने का प्रस्ताव याचिका में रखा है। आयोग में सुनवाई के बाद नई दरें लागू करने की मंजूरी मिलेगी।
कंपनियों ने 1500 करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली दरें बढ़ाने लगाई याचिका
कंपनियों ने करीब 1500 करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली की दरों में इजाफा करने याचिका दायर की है। याचिका मंजूर होती है, तो बिजली के टैरिफ में एक बार फिर बढ़ोत्तरी हो जाएगी। ऐसे में प्रदेश में दो से तीन फीसदी तक बिजली महंगी हो सकती है। लॉइन लॉस और बिजली चोरी की घटनाओं को कंपनियां नहीं रोक पा रही हैं। इससे कंपनियों को करोड़ों का घाटा होता है। इस घाटे की भरपाई बिजली का टैरिफ बढ़ाकर की जाती है। इसका असर बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ता है। इससे पहले बिजली कंपनियों ने 4 हजार करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली के दाम में बढ़ोत्तरी की याचिका दायर की थी।
इस साल अब तक दो बार बढ़ चुकी हैं बिजली की दरें
मध्य प्रदेश इसी साल जुलाई में बिजली के टैरिफ में बढ़ोत्तरी की गई थी। बिजली कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए विनियामक आयोग ने प्रति यूनिट 10 पैसे तक बिजली का टैरिफ बढ़ा दिया था। इससे पहले, बिजली कंपनियों ने इसी साल अप्रैल में भी दरों में बढ़ोतरी की थी। बिजली की कीमतों में औसतन 264 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। इसमें घरेलू बिजली की दरों में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। अगर बिजली कंपनियों द्वारा दायर याचिका को मंजूर कर लिया जाता है, तो अगले साल अप्रैल में एक बार फिर बिजली के टैरिफ में इजाफा हो जाएगा। प्रदेश में बिजली के टैरिफ में हर साल इजाफा हो रहा है। इससे प्रदेश में बिजली की कीमत अन्य राज्यों से ज्यादा हो गई है।
बिजली कंपनियों द्वारा इस तरह से बढ़ाए जाते हैं दाम
ज्ञात हो, हर तीन महीने में बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं। बिजली बनाने में कोयला परिवहन और फ्यूल की कीमतों के आधार पर बिजली की दर निर्धारित होती हैं। कंपनियां बिजली दरों के अलावा उपभोक्ताओं से एफसीए चार्ज भी वसूलती हैं। नियामक आयोग द्वारा हर तीन महीने में तय हुए एफसीए के मुताबिक बिजली के दाम घटते या बढ़ते हैं। बिजली कंपनियों ने सालों से बिजली की दरों में कटौती नहीं की है। साल में दो से तीन बिजली के टैरिफ में बढ़ोत्तरी के लिए ही याचिका दायर की जाती है।

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