छत्तीसगढ़

बजट में दोहरी आर्थिक ग़ुलामी की ‘8 सौग़ातें’: अमित

– ढाई करोड़ लोगों की जगह ढाई लोगों के हितों को देखके बनाया गया बजट
– सरकार अपने जन घोषणा पत्र को पूरी तरह भूल चुकी है

बिलासपुर। मुख्यमंत्री के बजट भाषण को पढ़ने से लगता है कि वे अपनी पार्टी के जन घोषणा पत्र को पूरी तरह भूल चुके हैं। ‘8 सौग़ातों’ के रूप में (1) किसानों को कर्जा-माफ़ी की जगह ₹36000 करोड़ का क़र्ज़, (2) केंद्र के हाथ खींच देने के बाद ₹2500 की जगह ₹700 (92 लाख मेट्रिक टन धान के लिए मात्र ₹5010 करोड़) प्रति क्विंटल समर्थन मूल का प्रावधान, (3) ग़रीबों को ₹1500 मासिक पेन्शन की जगह टेन्शन, (4) युवाओं को नौकरी और मासिक ₹2500 बेरोज़गारी भत्ता की जगह धक्का, (5) संविदा कर्मचारियों को नियमितिकरण की जगह एक बार फिर धोखा, (6) शराबबंदी की जगह देश की सबसे वृहद् शराबमंडी, (7) बिजली बिल हाफ़ की जगह बिल-डबल और बिजली-हाफ़ और (8) ‘आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ की जगह केंद्रीय-अनुदान और शराब-बिक्री की दोहरी-ग़ुलामी मिला है। हर दृष्टि से ये आज तक का सबसे चिंताजनक बजट है। ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ के ढाई करोड़ लोगों की जगह ढाई लोगों के हितों को देखके बजट बनाया गया है।

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