छत्तीसगढ़

मलेरिया से दो स्कूली बच्चों की मौत से हड़कंप, मैनपुर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल…

गरियाबंद। आदिवासी बाहुल्य इलाका मैनपुर में बरसात शुरू होते ही मलेरिया का कहर शुरू हो जाता है. जांच होती है तो केस भी समाने आते हैं. लेकिन ब्लॉक स्तर के जवाबदारों की लापरवाही के कारण भोले भाले आदिवासी मौत के मुंह में समा जाते हैं. दो दिन में हुई दो आदिवासी बच्चों की मौत के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है.

मलेरिया से दो छात्रों की मौत गई. शुक्रवार तड़के करीब 6 बजे छोटे गोबरा निवासी वीरेंद्र नागवंशी के 11 वर्षीय बेटे डीगेश्वर नागवंशी की मौत हो गई. मृतक कक्षा 5वीं का छात्र था. ग्राम सरपंच राम स्वरूप मरकाम ने इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी. सरपंच के मुताबिक तबियत बिगड़ने पर बुधवार को स्वास्थ्य कार्यकर्ता अनिता वर्मा द्वारा किट जांच कर मलेरिया की पुष्टि की गई थी. इसके चलते मलेरिया से ही मौत होने की आशंका जताई जा रही है.

दूसरी मौत कक्षा छठवीं की छात्रा योगिता की हुई. परिजनों के मुताबिक योगिता की तबियत 16 जुलाई से बिगड़ रही थी. 17 जुलाई को गांव की मितानिन ने जांच में मलेरिया की पुष्टि हुई थी. तबियत बिगड़ने के बाद परिजनों ने मैनपुर संजीवनी को कॉल किया था. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. धमतरी जिले का नगरी स्वास्थ्य केंद्र नजदीक होने के कारण परिजनों ने बच्ची को वहां भर्ती कराया. इलाज जारी था. लेकिन 19 जुलाई की रात बेटी ने दम तोड़ दिया था.

इस मौत के बाद मैनपुर बीएमओ गजेंद्र ध्रुव ने योगिता की मौत को मलेरिया से होने से इंकार किया. लेकिन जब गांव में शिविर लगाने पहुंचे तो 120 लोगों की जांच में 5 मलेरिया पॉजिटिव पाए गए थे. बच्चों की मौत के बाद दोबारा स्वास्थ्य अमला लेकर बीएमओ जांच-जांच खेल रहे है.

मैनपुर ब्लॉक में इस साल जुलाई महीने में अब तक मलेरिया के 47 पॉजिटिव केस पाए गए हैं. जबकि जनवरी से अब तक पॉजिटिव केसेस की संख्या 61 थी. पिछले साल 2022 में 261 लोग मलेरिया पोजेटिव थे. जिले में सर्वाधिक मलेरिया पोजेटीव मैनपुर ब्लॉक में हैं.

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