छत्तीसगढ़

सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के माध्यम से ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने का लगातार किया जा रहा है प्रयास – कलेक्टर

मुंगेली । आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त  एल. आर. कुर्रे ने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र संबंधी किसी भी समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन द्वारा हेल्पलाईन नम्बर 9406275534, 7879298169 जारी किया गया है।

इस अवसर पर अपर कलेक्टर  तीर्थराज अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर  अजय शतरंज, मुंगेली एसडीएम सुश्री आकांक्षा शिक्षा खलखो, लोरमी एसडीएम श्रीमती पार्वती पटेल, तहसीलदार, नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, एसडीओ फॉरेस्ट, रेंजर सहित संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारीगण और वन समितियों के पदाधिकारीगण मौजूद थे।

वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जिले में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आज जिला कलेक्टोरेट स्थित मनियारी सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।

कार्यशाला में कलेक्टर  राहुल देव ने कहा कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के मंशानुरुप सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के माध्यम से ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विगत 09 अगस्त 2022 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर लोरमी तहसील से कुल 05 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किया गया था।

इसी तरह सभी वन ग्रामों को वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित कर सकें। इसके लिए आज सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के पूरे नियम और प्रक्रियाओं को सरलता से समझने व शंकाओं के समाधान के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है।

कार्यशाला में कलेक्टर नेे संबंधित अधिकारियों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने और 05-05 ग्रामों का क्लस्टर बनाकर प्रशिक्षण देना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने कहा कि वन को सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। सामुदायिक वन संसाधन के लिए अधिक से अधिक ग्राम सभाओं से प्रस्ताव आना चाहिए। कार्यशाला में आदिवासी विकास विभाग द्वारा वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम संबंधी पुस्तिका एवं संबंधित मुद्रित पत्र सभी वन समितियों को वितरण किया गया।

वहीं फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी संस्था की सुश्री मंजीत बल ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु पूरी प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार में एक पारंपरिक गांव के सीमा के भीतर के वन और राजस्व के छोटे बड़े झाड़ के जंगल का अधिकार ग्राम सभा को मिलता है, जिसमें उन्हें इन वन क्षेत्रों की सुरक्षा, सरंक्षण, पुनरुत्पादन, प्रबंधन की भी जिम्मेदारी निभानी होती है।

उन्होंने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार हेतु दावा प्रस्तुत करने के लिए ग्राम सभाएं वन अधिकार समिति का गठन करती है और दावा मिल जाने पर प्रबंधन के लिए वन प्रबंधन समिति का गठन कर सकती है। दावों के लिए गांव के बुजुर्ग, महिलाएं, सभी निवासरत जनजाति के प्रतिनिधि सहित पटवारी, वनरक्षक, पंचायत सचिव परम्परागत सीमा की पहचान करते हैं और सीमावर्ती गांव के साथ जानकारी साझा करते हैं।

साथ ही नजरी नक्शा, गांव का निस्तार पत्रक, बुजुर्गों का कथन और सीमावर्ती के गांव के अनापत्ति पत्र लगाए जाते हैं। इसके बाद उपखंड स्तरीय समिति द्वारा सत्यापन करवाया जाता है। सब सही पाए जाने पर जिला स्तरीय समिति को भेजा जाता है। वहां सही पाए जाने पर अधिकार पत्र मिलता है।

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