मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश में पेंशन स्कीम पर कर्मचारियों के आंदोलन से पूर्व कांग्रेस का बड़ा दांव ….

भोपाल। मध्यप्रदेश में 2 अक्टूबर को प्रदेशभर में होने वाले लाखों कर्मचारियों के आंदोलन से पहले पूर्व पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर कांग्रेस ने फिर बड़ा दांव खेला है। सीएम कमलनाथ ने वादा किया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही पुरानी पेंशन स्कीम लागू करेंगे। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हमारी कांग्रेस की सरकारों द्वारा यह स्कीम पहले ही लागू कर रखी हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले छह महीने से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। गांधी जयंती 2 अक्टूबर को फिर से बड़ा आंदोलन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के आव्हान पर सभी जिलों में कर्मचारी एक ही समय पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे दोपहर 12 से 2 बजे के बीच उपवास पर बैठेंगे। चूंकि, अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस फिर से इस मुद्दे को लेकर दांव खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पेंशन को लेकर कर्मचारियों से वादा भी किया है। इससे पहले भी पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कमलनाथ ऐलान कर चुके हैं।

 

कर्मचारी इसलिए कर रहे पुरानी पेंशन बहाली की मांग

प्रदेश में 1 जनवरी 2005 के बाद भर्ती अधिकारी-कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू है। इसके तहत कर्मचारी 10% और इतनी ही राशि सरकार मिलाती है। कर्मचारी संगठन के अनुसार, इस राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है। इसके चलते कर्मचारियों का भविष्य शेयर मार्केट के ऊपर निर्भर हो गया है। रिटायरमेंट होने पर 60% राशि कर्मचारी को नकद और शेष 40% राशि की ब्याज से प्राप्त राशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को दी जाती है। पुरानी पेंशन बहाली संघ के अनुसार, पुरानी पेंशन नीति में सैलरी की लगभग आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। डीए बढ़ने पर पेंशन भी बढ़ जाती थी, लेकिन नई नीति में ऐसा कुछ भी नहीं है।

नए नियम में अधिकतम पेंशन 7 हजार से ज्यादा नहीं बनती

अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अनुसार, 1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम-1972 के दायरे में नहीं आते। 2.87 लाख अध्यापक संवर्ग से हैं, जो 2008 में टीचर बन गए। बचे हुए 48 हजार पर नेशनल पेंशन सिस्टम लागू है। वहीं, 1 जनवरी 2005 से सरकारी सर्विस में आए कर्मचारियों का कहना है कि उनके लिए अंशदायी पेंशन (वर्तमान में लागू) में कर्मचारी के मूल वेतन से 10% राशि काटकर पेंशन खाते में जमा कराई जाती है। 14% राशि सरकार मिलाती है। रिटायर होने पर 50% राशि एकमुश्त दे दी जाती है। शेष 50% से पेंशन बनती है। यह राशि अधिकतम 7 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होती। इसकी वजह से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

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