मध्य प्रदेश

शिवराज में भी PFI के ठिकानों पर NIA और ED की रेड…, इंदौर-उज्जैन से 5 लीडर्स को उठाया, देशभर में 13 राज्यों में एनआईए ने मारा छापा …

भोपाल। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार आधी रात से 13 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई ठिकानों पर संयुक्त छापेमारी की, जो समाचार लिखे जाने तक जारी है। एनआईए और ईडी की टीम ने मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन में भी एनआइए ने पीएफआई के ठिकानों पर छापा मारा है। इसमें पीएफआई के मध्य प्रदेश लीडर सहित 5 नेताओं को इंदौर और उज्जैन से गिरफ्तार किया गया है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएफआई पर एनआईए और ईडी के छापे को लेकर एनएसए, गृह सचिव, डीजी एनआईए सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए और ईडी ने गुरुवार को आतंक पर बड़ा प्रहार करते हुए आतंकवादियों की कमर तोड़ने के लिए देश के 13 राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान अब तक 106 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिन राज्यों में एनआईए ने छापेमारी की है उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। पीएफआई और उससे जुड़े लोगों की टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग गतिविधियों और लोगों को संगठन से जोड़ने के खिलाफ ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

यह छापेमारी पीएफआई के राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर के नेताओं के घरों और दफ्तरों पर की जा रही है। इन स्थानों पर राज्य समिति कार्यालयों पर भी छापेमारी की जा रही है। इसमें मलप्पुरम जिले के मंजेरी में पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम के अलावा पीएफआई के दिल्ली प्रमुख परवेज अहमद के घर पर भी छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान पीएफआई कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा कर्नाटक के मंगलुरु में भी एनआईए की छापेमारी के खिलाफ पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, इन्हें हिरासत में ले लिया गया है।

एनआईए टीम ने तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पार्टी कार्यालय पर छापेमारी की। पीएफआई के 50 से ज्यादा सदस्यों ने एनआईए की छापेमारी के खिलाफ पार्टी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। असम में पीएफआई से जुड़े नौ लोगों को हिरासत में लिया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यूपीएटीएस व एनआईए की छापेमारी में दो संदिग्धों को लखनऊ से हिरासत में लिया गया है। इस कार्रवाई को लेकर संगठन ने एक बयान में कहा कि यह छापे असहमति की आवाज को दबाने के लिए मारे जा रहे हैं। फासीवादी शासन द्वारा एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल करने के कदमों का हम कड़ा विरोध करते हैं।

चार्जशीट में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उनमें केए रऊफ शेरिफ, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अतीकुर रहमान, दिल्ली स्थित सीएफआई के महासचिव मसूद अहमद, पीएफआई से जुड़े पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और मोहम्मद आलम के नाम शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले एनआईए की टीम ने 18 सितंबर को भी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 40 ठिकानों पर छापेमारी  की थी। इस दौरान चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। इनमें तेलंगाना-आंध्र के दो-दो लोग शामिल थे। बताया जा रहा है कि केवल इन दोनों राज्यों में ही 23 से ज्यादा टीमें तलाशी अभियान चला रही हैं।

पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। इसमें महिलाओं के लिए नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। यहां तक कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के वक्त एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।

 

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