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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले- रासायनिक खाद का सशक्त विकल्प है वर्मी कम्पोस्ट ….

रायपुर।  मुख्यमंत्री ने खरीफ सीजन 2021 में रासायनिक खाद की कमी विशेषकर डीएपी की किल्लत का उल्लेख करते हुए कहा कि जब पूरे देश में रासायनिक खाद को लेकर मारामारी की स्थिति थी, उस समय छत्तीसगढ़ महतारी, गौ-माता और माता कौशल्या की कृपा से छत्तीसगढ़ राज्य इससे अछूता रहा। डीएपी की कमी को छत्तीसगढ़ ने गौठानों में बनी वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद से पूरा किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित गोधन न्याय योजना के राशि अंतरण के ऑनलाईन कार्यक्रम में गौठानों में गोबर बेचने वाले पशुपालकों, ग्रामीणों, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 2 करोड़ 37 लाख रूपए की राशि जारी की। जिसमें गोबर विक्रेताओं को 2 करोड़ 6 लाख रूपए तथा गौठान समितियों और महिला समूहों का लाभांश 31 लाख रूपए शामिल है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि गोबर से गौठानों में बनने वाली वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद रासासनिक खाद का सशक्त विकल्प बनी है।

उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में भी रासायनिक उर्वरक विशेषकर डीएपी की आपूर्ति में दिक्कत आने की सम्भावना है। उन्होंने राज्य के किसान भाईयों, गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों से इस कमी को पूरा करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट के उत्पादन को बढ़ावा देने की अपील की। इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. महंत राम सुंदर दास, आयोग के सदस्यगण, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर से बनी वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद के उपयोग से सार्थक परिणाम खेती-किसानी में देखने और सुनने को मिल रहे हैं। रासायनिक खादों पर हमारी निर्भरता कम हो, खेती की लागत में कमी आए, इसके लिए जरूरी है कि हम वर्मी कम्पोस्ट का ज्यादा-ज्यादा से उत्पादन और उपयोग करें। यह राज्य और किसानों के हित में होगा। उन्होंने कहा कि हमें गौठानों को और मजबूत करना होगा, ताकि रासायनिक खाद की कमी की चुनौती को हम इसके माध्यम से दूर कर सके।

कार्यक्रम में गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारती दासन ने बताया कि  गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी के एवज में अब तक पशुपालक किसानों को 111 करोड़ 56 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। गौठान समितियों को 41 करोड़ 65 लाख रुपए का भुगतान अब तक किया जा चुका है।

प्रदेश में अब तक 10 हजार 564 गौठान स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 07 हजार 751 गौठानों का निर्माण हो चुका है। उन्होंने बताया कि गौठानों में 9 लाख 6 हजार 151 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 4 लाख 6 हजार 831 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन हुआ है, जिसमें से 79.78 करोड़ रूपए की खाद बिक चुकी है। उन्होंने चारागाह विकास के बारे में भी जानकारी दी।

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