लेखक की कलम से

नारी तू शक्तिशाली है …

नारी तू कमजोर नहीं है, तुझे तो कमजोर बनाया जाता है। पर तू कभी हारना नहीं, क्योंकि तेरे भीतर की शक्ति से सभी पुरुष वाकिफ हैं। नारी तेरे भीतर वो शक्ति है तू जो चाहे वो कर सकती है। यह कारण है कि पुरुष तुझसे डरता है। पुरूषार्थ कहीं उसकी फीकी न पड़ जाए ! तुझे दबाया इसलिए जाता है, डराया जाता है, क्योंकि पुरुष के मन में ये डर रहता है, कहीं तू उसको पीछे न छोड़ दे। इसलिए तुझे आगे बढ़ने से रोकता है, तेरे मन में हीन भावना भरता है, पहले से ही पुरुष तुझे डराता है, धमकता है।

क्योंकि तेरी शक्ति को वो जानता है। हमारा समाज पुरुष राज है। सब मिलकर तेरे मनोबल को तोड़ने की कोशिश करेंगे। पर तू कभी भी टूटना नहीं। नारी तू कमजोर पड़ गई तो जीवन भर तुझे मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ेगा। नारी तू प्रकृति है। तुझसे ही तो हर जगह रौनक है। तेरे बिना पुरुष का कोई अस्तित्व नहीं, तू तो हर जगह में शामिल है, नारी तू कोमल है कमजोर नहीं, तू वो फूल है जो कांटों के बीच में रहती है, फिर तू कमजोर कहां से है।

नारी तू कभी निराश न होना, न ही तू कीसी के सामने अपनी अनमोल आंसू को बहने देना। तेरे ये आंसू को कोई नहीं समझेगा, तेरे भावनाओं का कोई कदर नहीं है, तेरे आंसू का कोई मोल नहीं।

हर बार की तरह तुझे प्रेम की झूठे जाल में तुझे छलता रहेगा ये पुरुष। फिर भी तू हारना नहीं। मरने की कभी सोचना नहीं। जिंदा में तेरी अहमियत नहीं तो खाक तेरे मरने के बाद होगी। पुरुष बड़े ही स्वार्थी होते हैं।

तुझे-तुझे कफन देने के बाद तेरी याद को कब्रस्तान में ही छोड़ के आ जाता है।

तेरे सारे बलिदान त्याग को वो पल भर में भूल जाता है।

60%…….महिला हमारे देश में अपने पैरों पर खड़ी है। कमाती है। फिर भी वो एक स्त्री होने का सजा भुगतती है। इस 60% में 50% महिलाए खुलकर नहीं जी पातीं। खुद मेंहनत कर के कमाती है फिर भी अपने ही पैसे में उनका अपना अधिकार नहीं होता। अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकती।

40% महिलाएं गृहणी होती हैं वो अपने पति के इशारे पर चलतीं हैं,

जिसमें 20% महिला चुप रहकर जीवन व्यतीत करतीं हैं, पति को खुश करने में सारा समय निकाल दिया करतीं हैं, पति की बातें बुनतीं हैं।

हमारे समाज की यही सोच है अगर कोई महिला स्वालंम्बी है, आमनिर्भर है उसे चालाक और चरित्रहीन कहा जाता है।

तो दूसरी ओर कोई महिला शांत है पति के ऊपर निर्भर है तो उसे बैवकूफ, बुद्धिहीन कहा जाता है। ये समाज कुरूपता का रूप महिलाओं को दे देता है।

कुछ भी तरीके से जीए नारी उसके ऊपर अंकुश लगाया ही जाता है। चूंकि हमारा समाज पुरूष प्रधान समाज है। पुरुष का ही पक्ष लिया जाता है।

ये भी सत्य की गैर स्त्रियों को सम्मान देते हैं और जो घर में अपनी पत्नी का कोई महत्व नहीं दिया करते। न उसकी बातें सुनना पसंद करते हैं न उसकी भावना का कदर करते हैं। और अपने पति के चेहरे की मायूसी से समझ जातीं हैं कोई परेशानी तो नहीं बार-बार पूछतीं हैं और उसका हल ढूंढने में लग जातीं हैं।

औरत को समझना बेहद मुश्किल है। परंतु समझने वाले के लिए बहुत आसान भी है।

स्त्री कोमल है संवेदनशील है पर कमजोर नहीं।

नारी तू प्रकृति है तुझसे ही संसार टिका है, नारी तू कमजोर नहीं तू तो शक्तिशाली है तू चाहेगा तो सबका रास्ता मोड सकती है। खुद का एक अलग पहचान बना सकती है।

तू जब दूसरों के लिए जी सकती है। तो खुद के लिए क्यों नहीं।

हमारे समाज में बहुत ऐसे लोग भी है तुझे हराने की हर कोशिश करेंगे पर तू कभी पीछे मुड़कर मत देखना अपनी मंजिल में अपनी नज़र को टिकाए हुए रखना। क्योंकि तू शक्तिशाली है कमजोर कभी भी मत पड़ना।

©तबस्सुम परवीन, अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़

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