लेखक की कलम से

ऑनलाइन शिक्षा …

बच्चों के भविष्य पर विकट संकट के बादल छाएं!

शिक्षकों ने सूझबूझ कर उनके भविष्य बनाएं!

लेसन प्लान,पीपीटी से विषय को रोचक बनाया!

वीडियो और तस्वीरों से पाठों को खूब सजाया!

 

घर बैठे बच्चों को अवसादग्रस्त ना होने दिया!

संकट में डँटे रहो,हर पल यही सीख दिया!

बाधाओं में निर्झर सा बहना है प्यारे बच्चों!

ऑनलाइन में मनरमा पढ़ना है न्यारे बच्चों!

 

पाठ्यक्रमों के साथ प्रयोगों का क्रम भी खूब सजा!

चित्रों की क्या बात!विविध रंगों से अद्भुत रचा!

योगासन की कक्षा में ध्यान-साधना किया बच्चों ने!

जीवन की हर मुश्किल में संयम बनना खूब सिखा!

 

हर पाठ के बाद असाइनमेंट के प्रश्नों को खूब किया!

क्विज में सहभागिता से पाठों को भी खूब गुना!

पुनरावृति से पाठों का बारंबार अभ्यास किया!

नियमित कार्यों से परिणाम-पत्र अद्भुत दिखा!

 

पैरंट-टीचर मीटिंग में शिक्षकों ने टीका-टिप्पणी भी किए!

किस तरह और दक्ष बने अभिभावकों को ज्ञान तक भी दिए!

अनुशासन ही मेरुदंड है,बार- बार यह कह डाला!

नियमित अभ्यास की महत्ता भी संग-संग समझा डाला!

 

जीवन की विकट परिस्थिति में शिक्षक जीवट बने रहे!

हाथ थामे बच्चों की प्राण तक सहज ही उतरे!

शिक्षक-विद्यार्थी-अभिभावकों के सुंदर त्रिकोण सजे!

ऑनलाइन शिक्षा पद्धति ने शिक्षा को नवीन रूप दिए!

 

विषमताओं में भी समता की लहर बहाया,शिक्षकों ने!

क्या दिन! बहुत सी रातें गँवाई   शिक्षकों ने!

नव शिक्षा पद्धति की रिदम को सहज न कोई जानो!

शिष्यों की प्रगति में स्वयं को उत्सर्ग किया शिक्षकों ने!

 

 

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                            

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