लेखक की कलम से

दो पल जीवन……

वक्त को बाँधकर
छुपा लेना सुधियों की “पिटारी” में
सहेजना हर अच्छे पल को
जी लेना जी भर !
उलीचना जल
गंगा में खड़े होकर आकाश की ओर….
फिर मिल जाना
नया दृश्य बनाते हुए
उसी जल में ……
बनाए रखता है मुझमें नमी !
और लुटाती हूँ जितना ये खजाना
बढ़ जाता है उससे कुछ और अधिक
चुकता ही नहीं !
किसे है मंजूर , मेरे अपनत्व का
इस तरह ,
बाँटना …?
रिश्तों के पहरे
और अदृश्य बेड़ियाँ
जब तरेरती हैं आँखें
मैं
याद कर लेती हूँ,
तुम्हारे गले लगे हुए वो पल !
जो भर गए मुझमें जीवन
दो पल का।

©मीना शर्मा, खंडवा, मध्यप्रदेश 

परिचय- बाल साहित्य, ह्दय परिवर्तन, नौ पुस्तकें प्रकाशित, कहानी संग्रह टुकड़े-टुकड़े जिंदगी। गीत-गजल संग्रह गुस्ताखी माफ। गीत संग्रह धूप में खिली चांदनी। दूरदर्शन भोपाल एवं रायपुर से कवि गोष्ठियों में काव्यपाठ। आकाशवाणी मथुरा, ग्वालियर, बिलासपुर एवं रायपुर से कविताओं का प्रसारण।

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