लेखक की कलम से

हुआ था युद्ध कुरुक्षेत्र में …

महाभारत का!

बड़े – बड़े योद्धाओं के बीच

भीष्म, द्रोण, दुर्योधन, कर्ण…

युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन…

और सारथी श्रीकृष्ण…

पांचों इंद्रियों का लगाम हाथ में लिए —

युद्ध अब भी जारी है

स्थान बदल गया

मानव का मन कुरुक्षेत्र बन गया

लालसा, इच्छा, कामनाएं

फन फैलाए

कर रही तांडव

है विचारशीलता भी

परंतु वो सारथी

न जाने कहां खो गया

हां! छोड़ गया

अपना अस्त्र – शस्त्र – मंत्र का

अमृत – कलश ‘गीता का उपदेश’

इसके बूंद – बूंद को ग्रहण कर

‘सारथी’ तो अपना

स्वयं बनना होगा!

©डॉ. विभा सिंह, दिल्ली

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