लेखक की कलम से

आज मन की सीमा रेखा का जन्मदिन है…..

 

वह रेखा जिसने अपनी खुद की रेखा इतनी बड़ी कर दी कि शायद ही कोई उसे पार कर सके।

साड़ी के इर्द गिर्द की रेखा, दो लंबी चोटियों वाली रेखा, बिंदास हँसी की फुलझड़ी छोड़ती रेखा, चुलबुली सी रेखा।

उमराव जान की संजीदा रेखा, घर फ़िल्म की सपने में भी डरती हुई रेखा, इजाज़त की सुलझी समझदार रेखा।

 

और वह रेखा जो कभी किसी को दिखाई नहीं दी क्योंकि जो सामने है वह असल का थोड़ा सा ही है बाकी का छुपा कर ही रखा है उन्होंने। और यह जरूरी भी था। सभी को सब कुछ तो नहीं दिखाया जा सकता। इस समाज में सभी न्यायाधीश हैं जो फैसला सुनाने में देर नहीं करते और फिर सामने स्त्री हो तो कहना ही क्या उस पर अभिनेत्री जो तथाकथित ‘public property ‘समझी जाती है।

 और शायद पूरे घनत्व में प्रेम करने का अपराध किया है उसके बाद तो सज़ा ही सज़ा है आखिर हम सामाजिक प्राणी है।

बहुत सी स्त्रियों की जलन और पुरुषों की अभिलाषा उस रेखा को बहुत सी शुभकामनाएं, आप स्वस्थ हों और बतातीं रहें कि grace किसे कहते हैं।

 

बहुत सारे प्रेम और आदर के साथ….

©रश्मि मालवीया, इंदौर

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