लेखक की कलम से

जीवन-यात्रा …

लक्ष्य का संधान नहीं!

राह की पहचान नहीं!

देह-यान पर सवार सही!

गण्तव्य की तलाश में कहीं!

निर्वाद्य क्रम से चलता जा रहा सही!

अज्ञात लक्ष्य की ओर ही सही!

मार्ग में अनगिनत बाधाएं कई!

डगर अनगढ़ ही सही!

घुमावदार पर नई!

भटकन के आसार निश्चित ही कहीं!

अंतिम निस्वास के साथ खुले मंजिल

के कपाट कई!

रहस्यमई उलझी गुथियाँ सुलझती सही!

आत्मा-परमात्मा में विलीन कहीं!

बनती एक तत्व की मिसाल सही!

आभा युक्त मंजिल से पथिक की साक्षात्कार नई!

मानव जीवन यात्रा में निकल पड़ा ही सही!

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                           

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