लेखक की कलम से

हंसी चांदनी से नहाकर …

 

हंसी चांदनी से नहाकर,

फूलों की खूश्बू लगाकर,

हंसी ख्वाबोंं की महफिल में,

हवाओं के संग होकर,

चली ढूंढने मैं तुझे,

चांद से मैंने पूछा,

कहां है हमदम मेरा,

चांद ने मुझसे कहा,,

है चांदनी में वो छुपा,

बादलों से मैंने पूछा,

कहां है साजन मेरा,

बादलों ने मुझसे कहा,

है बारिश की बूंदों में वो छुपा,

जमीं से फलक पर तू,

है हर जगह बस तू,

चांद तारे भी,

दे रहे गवाही तेरी,

निकल कर नजारों

की महफिल से,

आ जाओ दुनिया में मेरी,

तेरे बिन अधूरी मैं यहां,

महफिल भी सुनी है तुझ बिन,

नहीं जो तू है यहां,

कुछ भी नहीं है यहां,

एक मौजूदगी तेरी ही,

काफी है सनम,

जर्रा-जर्रा तुझसे,

है महक रहा मेरा जहां,

इन वादियों का मौसम,

तुझसे ही तो है ओ हमदम…..।।

 

©पूनम सिंह, नोएडा, उत्तरप्रदेश                                   

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