लेखक की कलम से

उम्मीद जगी है …

बेगैरत जहाँ की साज़िश का मारा एक झिलमिलाता सितारा सुशांत सिंह जाने कौन सी गर्दिश में डूब गया। शह और मात के खेल का शिकार होते हार गया। सुशांत की मृत्यु को दो महीने से उपर का समय हो गया। क्या कहेंगे उसकी मृत्यु को खुदखुशी या मर्डर ? अभी तक किसी तर्क पर कोई नहीं पहुँचा। पर अब एक उम्मीद जगी है सबके मन में। देश की करोडों जनता की एक ही आवाज़ और मांग है की सुशांत को न्याय मिले।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की अब जाँच करेगी सीबीआई। इसके लिए सीबीआई ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी का गठन किया है। 10 से 12 अधिकारियों की एक टीम केस डायरी समेत सारे सबूत लेने मुंबई के वांद्रा थाने पहुंच चुकी है। इस टीम को सीबीआई के जॉइंट डायरेक्‍टर मनोज शशिधर लीड कर रहे हैं। मनोज के अलावा इस टीम में गगनदीप गंभीर, एसपी नूपुर प्रसाद और एडिशनल एसपी अनिल यादव भी शामिल हैं। एसे धुरंधरों की अगवानी में अब लगता है की एक लाचार बेबस पिता की गुहार को शायद न्याय मिलेगा। अब यही उम्मीद करते है की सीबीआई की जाँच पड़ताल में कोई  सियासती खेल ना रचाया जाएं तो बेहतर होगा। या पैसों की ताकत के आगे ज़मीर ना बिक जाएं।

बीजेपी नेता नखुआ ने किसी का स्पष्ट तौर पर नाम नहीं लिया पर उन्होंने बताया बहुत भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक की एक युवा नेता अपनी इमेज बचाने के लिए खुद सीबीआई के सामने जा सकता है। बहुत तगड़ी PR रणनीति की प्लानिंग की तो जा रही है।

ये सारे मांधाता सुशांत के पिता की जगह एक बार खुद को रखकर देखें। इंसानियत के नाते ही सही नेक दिल बनें और सुशांत की मृत्यु के ज़िम्मेदार एक-एक कातिल को पकड़वाने में अपना योगदान दें।

एक उभरता हुआ सितारा सीधा सादा सबका चहीता दुन्यवी शतरंज का मोहरा बनते मात खा गया। उसके इंसाफ़ में कौन सी गुत्थियां उलझ रही है। पुलिस क्यूँ जड़ तक नहीं पहुँच पाई। बहुत सारे सवालों के जवाब देश की जनता को चाहिए आज सुशांत एसी चाल का मोहरा बना कल किसी और का बेटा बन सकता है। गुनहगारों को कड़ी सज़ा मिलेगी तभी आगे जाकर किसी ओर के साथ एसी साज़िश रचने वालें दो बार सोचेंगे।

सुशांत के रूम का लाॅक तोड़ने वाला आइ विटनेस उसे क्यूँ लाॅक खुलते ही रूम के अंदर झाँकने तक नहीं दिया। सीधे पैसे पकड़ाकर नीचे भेज दिया गया। एबीपी न्यूज़ के इन्वेस्टिगेशन करने वालों की टीम ने सुशांत के घर के आसपास के सारे चाबी बनाने वालों से पूछताछ की कोई मुँह खोलने को तैयार नहीं। कुछ तो कहीं तो गलत हुआ है सुशांत के साथ। क्यूँ एक उभरते सितारे को कुचल कर मौत के मुख में धकेल दिया। एक हंसता खेलता परिवार उज़ड गया। क्या बीत रही होगी उस बाप पर जिसने अपना जवान बेटा खो दिया। उस बहनों की रक्षा बंधन कैसी बीती होगी जिसका इकलौता जवान भाई किसीकी साज़िश का शिकार होते दुनिया छोड़ गया। देश की कानून व्यवस्था का सवाल है अगर सुशांत को सही न्याय मिलता है तो देश की जनता का विश्वास बना रहेगा वरना एक दिन एसा आएगा की जनता को खुद कानून अपने हाथों में लेना पड़ेगा।

   ©भावना जे. ठाकर   

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