लेखक की कलम से

श्री अग्रसेन महाराज की जयंती पर विशेष…

सूर्यवंश के वंशज हैं ये,अग्रोहा है इनका धाम।

रानी माधवी इनकी भार्या, नागलोक था इनका धाम।।

 

जनक हमारे हैं कहलाये,अग्रसेन महाराज।

अग्रवालों के ह्रदय बसे, हमारे हैं सरताज़ ।।

 

कुलदेवी की कृपा से, अठ्ठारह पुत्रों को दिया जन्म।

सेवा, प्रेम, और सहयोग से, सब पूर्ण किये कर्म।।

 

अग्रवंश शिरोमणि हैं कहलाते, हृदय के थे बहुत महान।

एक ईंट और एक रुपया, नारा इनका यही महान।।

 

आज हमें है अपने कुल पर, नाज़ और अभिमान।

क्षत्रिय धर्म को त्यागकर, वैश्य धर्म की बढ़ाई शान।।

 

सत्य और कर्मठता से, समाज का किया नव निर्माण।

सबके लिए, खुद को किया समर्पित, रोशन हुआ, अग्रवंश का नाम।।

 

अग्रसेन जयंती के पावन पर्व पर, गर्व होता है आज।

वंदन हम सब मिलकर करें, गूंजे जयजयकार।।

 

-मानसी मित्तल, शिकारपुर, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

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