धर्म

शिव शंकर बेडा पार करो…

गोपाल धाम, आगरा में श्रावण मास के पावन अवसर पर चल रही श्रीशिवमहापुराण कथा का आज छठवां दिन था। कथावाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने बताया कि शिव महापुराण में पग-पग पर भगवान विष्णु घोषणा करते हैं कि महादेव देवगणों और ऋषियों के हितकारी हैं। इसलिए देवताओं और ऋषियों का हित करने वाले की कभी दुर्गति नहीं होती। देवराज इंद्र की धृष्टता के कारण उत्पन्न क्रोध को भगवान शिव देव गुरु बृहस्पति के आग्रह पर समुद्र में फेंक देते हैं जिससे वह शिशु रूप में बदल जाता है। समुद्र उसका पालन करते हैं। जालंधर नाम का यह बालक भगवान शिव के तेज से उत्पन्न होने के कारण बड़ा ही बलवान और पराक्रमी था।

कालनेमि की साध्वी पुत्री वृंदा से उसका विवाह हुआ। समुद्र मंथन से नाराज जलंधर ने देवताओं पर आक्रमण किया किंतु भगवान विष्णु को अपने पराक्रम से प्रसन्न कर अपने नगर में रख लिया। देवताओं का कल्याण करने में चतुर नारद मुनि ने जलंधर के सामने माता पार्वती की दिव्यता का वर्णन किया जिससे जलंधर उन्हें प्राप्त करने के लिए उत्सुक हो उठा।

भगवान विष्णु की सहायता से भगवान शिव ने जलंधर का वध किया और देवताओं को प्रसन्न किया। वृंदा सती हो गई।

डॉ. दीपिका उपाध्याय ने बताया कि भगवान शिव की लीला से उत्पन्न गोलोक में भगवान कृष्ण और भगवती की पांचवीं मूर्ति राधा वास करते हैं। एक बार जब एक गोप भगवान शिव की माया से मोहित हुआ भगवती राधा को रुष्ट कर शापवश दानव हो जाता है तो भगवान कृष्ण भगवान शिव के त्रिशूल से उसका उद्धार सुनिश्चित करते हैं। अगले जन्म में वे शंखचूड़ नाम का महान दानव बनता है और माता पार्वती को पाने की इच्छा से भगवान शिव से युद्ध करने की इच्छा करता है। भगवान शिव उसे लीलावश ही मार गिराते हैं। शंख उसी असुर की अस्थियों से उत्पन्न हुए।

यही कारण है कि भगवान शिव की पूजा में शंख का जल नहीं चढ़ाया जाता। भगवान शिव ने शंखचूड़ की साध्वी पत्नी तुलसी को उत्तम वृक्ष के रूप में बदल जाने का वर दिया। भगवान विष्णु से नाराज तुलसी ने उन्हें पाषाण हो जाने का शाप दिया। तुलसी की पावन काया गंडकी नदी के रूप में बदल गई।

भगवान शिव ने तुलसी को सदैव शंख और भगवान विष्णु के पाषाण रूप शालग्राम के साथ रहने का वरदान दिया। यही कारण है कि आज भी तुलसी शालग्राम और शंख के साथ ही पूजी जाती है। कहते हैं तुलसी का शंख और शालग्राम से वियोग कराने वाला सदैव रोगी और पत्नी से हीन रहता है। कथा वाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने भक्तों के कल्याण हेतु की गई भगवान शिव की अन्य सुंदर लीलायें भी  सुनायीं।

 गोपाल धाम, आगरा से इस कथा का प्रतिदिन फेसबुक पर सीधा प्रसारण हो रहा है।

 

©डॉ. दीपिका उपाध्याय, आगरा                  

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