लेखक की कलम से

कमरा नंबर 39 …

एक पंडित एक होटल में गया और मैनेजर के पास जाकर बोला, क्या रूम नंबर 39 खाली है ? मैनेजर- हां, खाली है, तुम वो रूम ले सकते हो… पंडित- ठीक है, मुझे एक चाकू, एक 3 इंच का काला धागा और एक 79 ग्राम का संतरा कमरे में भिजवा दो। मैनेजर- जी, ठीक है, और हां, मेरा कमरा आपके कमरे के ठीक सामने है, अगर आपको कोई दिक्कत होती है तो तुम मुझे आवाज दे देना…पंडित- ठीक है…

रात को……………….

पंडित के कमरे से तेजी से चीखने-चिल्लाने की और प्लेटों के टूटने की आवाजें आने लगती है। इन आवाजों के कारण मैनेजर सो भी नहीं पाता और वो रातभर इस ख्याल से बैचेन होने लगता है कि आखिर उस कमरे में हो क्या रहा है?

अगली सुबह………….

जैसे ही मैनेजर पंडित के कमरे में गया वहां पर उसे पता चला कि पंडित होटल से चला गया है और कमरे में सब कुछ वैसे का वैसा ही है और टेबल पर चाकू रखा हुआ है… मैनेजर ने सोचा कि जो उसने रात में सुना कहीं उसका मात्र वहम तो नहीं था… और ऐसे ही एक साल बीत गया….।

एक साल बाद……..

वही पंडित फिर से उसी होटल में आया और रूम नंबर 39 के बारे में पूछा? मैनेजर- हां, रूम 39 खाली है तुम उसे ले सकते हो…

पंडित- ठीक है, मुझे एक चाकू, एक 3 इंच का धागा और एक 79 ग्राम का संतरा भी चाहिए होगा…

मैनेजर- जी, ठीक है…

उस रात में मैनेजर सोया नहीं, वो जानना चाहता था कि आखिर रात में उस कमरे में होता क्या है?

तभी वही आवाजें फिर से आनी चालू हो गई और मैनेजर तेजी से पंडित के कमरे के पास गया, चूंकि उसका और पंडित का कमरा आमने-सामने था, इस लिए वहां पहुचने में उसे ज्यादा समय नहीं लगा लेकिन दरवाजा लॉक था। यहां तक कि मैनेजर की वो मास्टर चाभी जिससे हर रूम का ताला खुल जाता था, वो भी उस रूम 39 में काम नहीं कर रही थी। आवाजों से उसका सिर फटा जा रहा था, आखिर दरवाजा खुलने के इंतजार में वो दरवाजे के पास ही सो गया…

अगली सुबहा………..

जब मैनेजर उठा तो उसने देखा कि कमरा खुला पड़ा है लेकिन पंडित उसमें नहीं है। वो जल्दी से मेन गेट की तरफ भागा, लेकिन दरबान ने बताया कि उसके आने से चंद मिनट पहले ही पंडित जा चुका था…। उसने वेटर से पूछा तो वेटर ने बताया कि कुछ समय पहले ही पंडित यहां से चला गया और जाते वक्त उसने होटल के सभी वेटरों को अच्छी-खासी टिप भी दी…..।

मैनेजर बिलबिला के रह गया, उसने निश्चय कर लिया कि मार्च में वो पता करके रहेगा…. कि आखिर ये पंडित और रूम 39 का राज क्या है…। मार्च वही महीना था, जिस महीने में हर साल पंडित एक दिन के लिए उस होटल आता था।

अगले साल……..

अगले साल फिर वही पंडित आया और रूम नंबर 39 मांगा?

मैनेजर- हां, तुम्हें वो रूम मिल जाएगा।

पंडित- मुझे एक 3 इंच का धागा एक 79 ग्राम का संतरा और एक धारदार चाकू भी चाहिए।

मैनेजर- जी ठीक है।

रात को…..

इस बार मैनेजर रात में बिल्कुल नहीं सोया और वो लगातार उस कमरे से आती हुई आवाजों को सुनता रहा। जैसी ही सुबह हुई और पंडित ने कमरा खोला, मैनेजर कमरे में घुस गया और पंडित से बोला- आखिर तुम रात को इन सब चीजों के साथ इस कमरे में क्या करते हो..? ये आवाजें कहां से आती हैं…

जल्दी बताओ..?

पंडित ने कहा- मैं तुम्हे ये राज तो बता दूंगा लेकिन एक शर्त है कि तुम ये राज किसी को नहीं बताओगे। चूंकि मैनेजर ईमानदार आदमी था इसलिए उसने वो राज आज तक किसी को नहीं बताया।

और अगर ये राज वो किसी को बताएगा औऱ मुझे पता चलेगा तो मैं आपको मेसेज कर दूंगा…ध्यान से पढ़ने के लिए धन्यवाद ????

©संकलन – अनिल तिवारी, महासचिव व्यापारी महासंघ, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

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