लेखक की कलम से

याद रहोगे ….

 

पापाजी (ससुरजी) को हमको छोड़कर गए हुए आज 9 अक्टूबर को पूरा एक वर्ष हो गया है। आज उनकी बरसी के लिए कुछ पंक्तियाँ श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत करती हूँ। व सम्पूर्ण परिवार की तरफ से श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ।

पापाजी की याद में कुछ मेरे दिल के भाव व शत शत नमन।

 

याद रहोगे हर दिन हर पल

यूँ ही विदा हो गए पलक झपककर।

श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं हमसब

चरणों मे तुम्हें शीश झुककर।

 

छोड़ गए तुम हमको कैसे??

क्या प्यार नही था अपने बच्चों से??

अपना दर्द कुछ हमें  सुनाते,

यूँही हमें छोड़ नही जाते।

 

दो टूक बांतें कर ना पाए,

मन की रह गयी सब आशाएं ।

दर्द अपना कैसे बयाँ  कर पाए,

जब साँसों की डोर पे लगी बाधाएं।

 

काल चक्र छल कर ले गया ।

पैसा धेला  सब रखा रह गया।

सांस टूट रही उनकी ऐसे,

खेल तमाशा हो रहा जैसे।

 

समय बिताया था हमनें आपके संग।

दिल मे रहोगे,आप हमेशा हरदम।

हमारा है आपसे अटूट संबंध,

भुला नही सकेंगे,आपको अब हम।

 

यूँही विदा हो गए जबसे,

ओझल(बिछड़)हो गए तुम अपनों से।

अब तो बस याद रहोगे हरपल,

वंदन करते रहेंगे हमसब।

 

©मानसी मित्तल, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश    

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