लखनऊ/उत्तरप्रदेश

इस गलियारे से मिली रामपुर को अलग पहचान- स्वनिधि गलियारा बनाकर रेहड़ी ठेले वालों की आर्थिकी को दी गति

नई दिल्ली
कभी दुकानदारों की दुत्कार तो कभी जाम लगने पर पुलिसवालों की फटकार। इस सबके बीच पेट की खातिर उत्तर प्रदेश के रामपुर में दिनभर रेहड़ी-ठेला लेकर घूमने वालों के दिन बदल गए हैं। अब उनका स्थाई ठिकाना हो गया है। जहां न पुलिस का डर है, न जाम का खतरा। दुकानों की तरह व्यापार का माहौल भी है। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना ने इस तरह का गलियारा रामपुर शहर में दिया है। जिसमें तीन सौ दुकानें तो हैं ही, व्यापार के लिए आर्थिक मदद भी सहज उपलब्ध है। दो गलियारे और बनाए जाने हैं। यह योजना देश में अन्य स्थानों पर भी लागू हुई है, लेकिन अधिकारियों, जनप्रतिनिधि और व्यापारी वर्ग की संकल्पशक्ति ने रामपुर के स्वनिधि गलियारा को एक अलग ही पहचान दी है।

दुकानें मिलीं और व्याजमुक्त ऋण भी
रामपुर ज्वालानगर में पहले सड़क के दोनों ओर के सब्जी और फल बेचने वालों ने कब्जा कर रखा था। शहर विधायक आकाश सक्सेना ने करीब एक वर्ष पहले जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ और पालिका अधिकारियों के साथ बैठक कर इसका स्थाई समाधान निकाला। ठेले और रेहड़ी वालों को भी बैठक में शामिल किया गया। तय किया गया कि सड़क किनारे प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से गलियारा बनाया जाए। नगर पालिका की खाली पड़ी पट्टी पर करीब छह महीने में ही दुकानें बन गई। कई रेहड़ी और ठेले वालों ने योजना के तहत बिना व्याज का 10 हजार रुपये का ऋण लिया। इसे अदाकर फिर 20 हजार और अब 30 हजार रुपये का ऋण लिया है। शहरभर से ग्राहक भी यहां आते हैं। इस वजह से आर्थिकी को भी गति मिल रही है। मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह के अनुसार स्वनिधि योजना से इतना बड़ा रोजगार गलियारा देश में पहले नहीं बना है। अन्य जिलों में भी ऐसा प्रयास किया जाएगा।

ऐसा है गलियारा
रेहड़ी और ठेले वालों को छह गुणा 10 फीट की जगह उपलब्ध कराई गई है। करीब आधा किलोमीटर लंबे गलियारे में सभी दुकानों के पीछे तीन फीट ऊंची दीवार बनी है। ऊपर टिन की सुंदर छत है। पांच लाख रुपये विधायक ने अपनी निधि से दिए। शहर के संपन्न कारोबारियों ने भी मदद की। नगर पालिका ने भी दोवार बनवाने में करीब 25 लाख रुपये खर्च किए। जुलाई, 2022 में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा चव दुर्गा शंकर मिश्र राज्यभर में इस तरह के गलियारे बनाने का आदेश जारी किया था।

फल विक्रेता गदगद
25 वर्ष से फल बेच रहे इनोफ कहते हैं कि सोचा नहीं था कि कभी इतनी अच्छी दुकान मिलेगी। 15 वर्ष से फल विक्री कर रहे अनवार कहते हैं कि विधायक ने समस्या को गंभीरता समझी और पक्का ठिकाना दिलवाया। सरकार ने बिना गारंटी धन दिया है। एक और फल विक्रेता राधे कहते हैं कि 17 वर्ष से है। यहीं पर तेला लगाते रहे, अब स्थाई ठिकाना है।

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