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शिंदे और भाजपा के लिए जादुई हो सकता है 37 नंबर, ठाकरे के पास हैं क्या विकल्प; समझें …

मुंबई। कर्नाटक, मध्य प्रदेश की तरह अब महाराष्ट्र में भी लंबे राजनीतिक ड्रामे के बाद मौजूदा महा विकास अघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मडराने लगे हैं। शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव सरकार के पीठ में छूरा मारते हुए कई विधायकों को लेकर सूरत में कैंप लगा लिया है। ऐसे में उद्धव सरकार संकट से घिर गई है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने यहां तक कह दिया कि अगर सरकार गिरती है तो वह विपक्ष में बैठने को तैयार हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार अच्छी चल रही है। एकनाथ शिंदे की तरफ से मुख्यमंत्री बनने जैसी कोई मांग सामने नहीं आई है। पवार ने कहा कि ये सब शिवसेना के अंदरूनी मामले हैं।

एकनाथ शिंदे शिवसेना में एक प्रभावी नेता हैं। एकनाथ शिंदे के ट्वीट से ऐसा लगता है कि वह विद्रोह के मूड में हैं। उन्होंने लिखा कि वह बाला साहेब के विचारों पर चलते हैं और सत्ता के लिए उनके विचारों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। एकनाथ शिंदे अगर विद्रोह करते हैं तो उद्धव सरकार घोर संकट में घिर जाएगी। अब शिंदे और भाजपा दोनों के ही लिए 37 का नंबर जादुई बन गया है। आइए समझते हैं ऐसा क्यों है।

शिवसेना के पास इस समय 55 विधायक हैं। यह क्लियर नहीं है कि एकनाथ शिंदे के साथ इस समय कितने विधायक हैं। हालांकि यह संख्या 11 से 22 के बीच बताई जा रही है जिसमें एक मंत्री भी शामिल है। शहरी विकास मंत्री ने हाल ही में उद्धव ठाकरे का विरोध किया था। भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची में दलबदल विरोधी कानून के बारे में बताया गया है। इसके मुताबिक अगर किसी पार्टी के दो तिहाई विधायक समर्थन करते हैं तो कोई भी ग्रुप पार्टी से अलग होकर अलग दल बना सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एकनाथ शिंदे को अयोग्य घोषित होने से बचने के लिए दो तिहाई यानी 37 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो ये सभी विधायक अयोग्य घोषित किए जा सकते हैं और उद्धव सरकार संकट से बच सकती है।

दलबदल कानून इस बात की भी अनुमति देता है कि पार्टी के एक तिहाई विधानसभा या लोकसभा के सदस्य दूसरी पार्टी में शामिल हो सकते थे। हालांकि 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय हुए संशोधन के बाद दल-बदल कानून से बचने के लिए दो तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है।

गहराते संकट के बीच महाविकास अघाड़ी सरकार की प्रथमिकता यही है कि जितने भी विधायक संभव हों, वापस लाए जाएं। दूसरी तरफ देखना यह भी है कि अगर शिंदे के साथ 20 विधायक भी हैं और उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता है तो सदन में महाविकास अघाड़ी के साथ बहुमत का संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में विधायकों की संख्या लगभग एनडीए के विधायकों के करीब ही आ जाएगी।

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