पापांकुशा एकादशी पर मौन होकर की जाती है भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना…
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मौन रहकर भगवान विष्णु की अराधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। एक दिन पहले दशमी के दिन गेंहू, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल तथा मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत को करने वाला व्रती को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इस साल यह तिथि 16 अक्टूबर को पड़ रहा है।
पापांकुशा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 15 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 05 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी, जो कि शनिवार, 16 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। व्रत का पारण 17 अक्टूबर, रविवार को किया जाएगा। व्रत पारण का सुबह मुहूर्त 17 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 28 मिनट से सुबह 08 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
पापांकुशा एकादशी महत्व
पापांकुशा एकादशी व्रत को बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इस पुण्य व्रत का पालन करने से यमलोक में यातनाएं नहीं सहनी पड़ती हैं। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य अपने जीवन में किए गए समस्त पापों से एक बार में ही मुक्ति पा सकता है।
एकादशी पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।