लेखक की कलम से

खयालों की रफ़्तार के आगे बेबस हम …

खयाल हमारे मन के मोती हैं। बहुत ही नाजुक होते हैं ये मोती। बनते हैं, टूटते हैं, बिखरते हैं, हंसाते हैं, जलाते हैं तो कभी रुलाते भी हैं। कितना पकड़ो, कहां हाथ आते हैं। रेत की तरह फ़िसल जाते हैं। एक के बाद एक, प्रति पल बदलते खयाल और भावों के आधीन हम एहसास की रोशनी में बह जाते हैं, खयालों को घूंट-घूंट पीते पूरी तरह भावनाओं के नशे में गिरफ़्त हो जाते हैं।

ये बेवजह की कश्मकश, दिलों दिमाग में हलचल पैदा करते हमारे आत्मविश्वास पर वार करते वजूद को कतरा-कतरा बिखेर देती है तो कभी एक ठोस निर्णय से हमें मजबूत भी करती है।

मन एक भाव का निर्माण करता है पर पीछे असंख्य खयाल सीमा तोड़ कर दिमाग पर आक्रमण करते उस भाव के साम्राज्य को तहस-नहस कर देते हैं।

खयालों की रफ़्तार के आगे बेबस हम बह जाते हैं। खयालों के आकर्षण की लहरों संग, मन की चंचलता एक एसा प्रवाह है जो हमारे देह की हर इंद्रियों पर अपना हक जताते काबू करने की कोशिश करता है मन के हर एक भाव की असर पूरे देह की भूगोल बदल देते है तभी तो कहते है मन चंगा तो कथरोट में गंगा मन खुश होता है तब सब अच्छा लगता है भूख, प्यास भी मन की दशा पर निर्भर होती है, हर स्थिति से उबरने का उपाय सिर्फ़ सकारात्मक सोच है, आत्मविश्वास और खुद को खुद पर का यकीन मात्र है, मन में उठते किसी भी खयाल को दिल की दहलीज़ तक पहुंचने मत दो अच्छे विचारों कि ख़ातिरदारी करो और नकारात्मक विचारों को मन के मेहमान रखो और मन से ही विदा करो।

भूतकाल की स्मृतियाँ और भविष्य का ख़ौफ़ दिखाकर मन भ्रमित करता है हमें और वर्तमान के सुनहरे पलों को हमारे हिस्से से छीन लेता है, कमज़ोर विचारों के आगे घुटने टेकने वाला मन इंसान को दिशाहीन बना देता है लक्ष्य की धुरी से फ़िसल कर नकारात्मक प्रभाव में बहा ले जाता है।

अगर हम आत्मविश्वास की कमी के साथ ठोकर दिलाने वाली नकारात्मक कमज़ोरी से त्रस्त है तो उससे परे हमारे भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत भी बहता है तो हंमेशा उस ऊर्जा के स्त्रोत पर अटूट विश्वास रखना चाहिए, जब हताशा की लहरें हमें अपनी ओर खिंच रही हो तब अपने भूतकाल को हर खराब अनुभव के साथ स्वीकार करो, अपने वर्तमान को आत्मविश्वास के साथ सँवारो, ओर अपने भविष्य का बिना डरे सत्कार करो फिर एक मजबूत ओर हिम्मतवान इंसान बनकर खुद को स्थापित करो, मन का हारा मात खाता है मन का जीता परचम लहराता है।

©भावना जे. ठाकर

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