लेखक की कलम से
परियों का देश …
आई हूँ मै परियो के देश में
आई हूँ मै परियो के भेस में
प्यारे प्यारे फूल खिले है
नन्हे नन्हे से सब मिले हैं
रात भी हमे प्यारी लगती है
जुगनूं के संग खेलने को मिलती है
आई हूँ मै परियो के देश में
आई हूँ मै परियो के भेस में।।।।
© अर्पणा दुबे, अनूपपुर