नई दिल्ली

ED का 7वां समन भी नजरअंदाज, केजरीवाल ने आज भी पेश होने से किया इनकार

 नई दिल्ली

दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज भी ईडी के सामने पेश नहीं होंगे. AAP ने बताया कि केजरीवाल जांच एजेंसी के समन पर ईडी के सामने पेश नहीं होंगे और केंद्र सरकार को हम पर दबाव नहीं बनाना चाहिए.

पार्टी ने कहा कि हम आईएनडीआई गठबंधन नहीं छोड़ेंगे। मोदी सरकार इस तरह दबाव ना बनाए। इससे पहले केजरीवाल छह समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। मुख्यमंत्री ने हमेशा इन नोटिस को अवैध बताया है और पेश नहीं हुए हैं। उन्होंने इन समन को राजनीति से प्रेरित बताया था। केजरीवाल ने ईडी की कार्रवाई के पीछे के मकसद पर भी सवाल उठाया था। मामला अदालत में जाने के बाद ईडी ने 14 फरवरी को फिर से समन कर 26 फरवरी को उन्हें बुलाया था।

ED करे कोर्ट के फैसले का इंतजार: AAP

इस बारे में जानकारी देते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ईडी के समन पर आज उनके सामने पेश नहीं होंगे, क्योंकि अभी ये मामला कोर्ट में चल रहा है, जिसकी अगली सुनवाई 16 मार्च को होनी है. जांच एजेंसी को रोज रोज समन भेजने की जगह कोर्ट के फैसले का इंतजार करें. पर हम इंडिया ब्लॉक से अपना गठबंधन छोड़ने के लिए इस तरह का दबाव बनाया जा रहा है. हम अपना गठबंधन नहीं तोड़ेंगे. केंद्र सरकार हम पर इस तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए.

22 फरवरी को जारी किया था नोटिस

शराबी नीति में हुए कथित घोटाला मामले में ईडी ने अरविंद केजरीवाल को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 22 फरवरी के सातवां नोटिस जारी किया था और पूछताछ के लिए उन्हें 26 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया था. ईडी से इस को समन को भी उन्होंने गैरकानूनी बताया था.

आपको बता दें कि जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में हुई कथित शराब घोटाले की जांच रही है. इसी मामले में केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया, संजय सिंह समेत कई अन्य कारोबारियों और कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.  

क्या थी शराब नीति

22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई, जिसके बाद शराब पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई. नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी.

 

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