नई दिल्ली

कांग्रेस के गढ़ अमेठी में बनेंगी 5 लाख AK-203 राइफलें, रूस से 10 साल के लिए हुआ सैन्य करार ….

नई दिल्ली । भारत और रूस के बीच लंबे इंतजार के बाद AK-203 रायफलों के लिए 5,100 करोड़ रुपये की डिफेंस डील हुई है। इन राइफलों की मैन्युफैक्चरिंग उत्तर प्रदेश के अमेठी में में की जाएगी। सोमवार को डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री सेरगे शोइगु के बीच हुई बातचीत के दौरान यह डील फाइनल हुई है। इस डील के तहत 5 लाख से ज्यादा राइफलें तैयार की जानी हैं, जिससे भारतीय सुरक्षा बलों को बड़ी मदद मिलेगी। यही नहीं अमेठी के विकास और रोजगार की उपलब्धता के लिहाज से भी इसे अहम माना जा रहा है। रूस और भारत के बीच अगले 10 साल तक सैन्य तकनीक के सहयोग को लेकर भी करार हुआ है। यह अग्रीमेंट 2021 से 2031 तक लागू रहेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डील के बारे में जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘भारत को मजबूत सहयोग देने के लिए हम रूस का अभिनंदन करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह सहयोग शांति, सद्भाव और स्थिरता लेकर आएगा। हर्ष की बात है कि हमारे बीच छोटे हथियारों के निर्माण और सैन्य सहयोग को लेकर कई तरह के करार हुए हैं।’ पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आज शाम को मुलाकात होने वाली है। इस सालाना समिट से पहले यह अहम करार हुआ है। भारत और रूस के राष्ट्राध्यक्षों की मीटिंग के अलावा दोनों देशों के बीच 2+2 समिट भी चल रही है। इसी के तहत दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच बात हुई है और अब विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद भी अपने रूसी समकक्ष से मुलाकात करने वाले हैं।

इस समिट के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा करारों के अलावा ट्रेड, स्पेस, तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में भी कुछ समझौते हो सकते हैं। दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भी बात होने की उम्मीद है। शनिवार को ही भारत सरकार ने यूपी के अमेठी में AK-203 राइफलों के मैन्युफैक्चरिंग को लेकर फैसला लिया था। इसे इंडो-रसियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से जॉइंट वेंचर के तौर पर किया जाएगा। पिछले सप्ताह ही सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने अमेठी में राइफलों की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर जानकारी दी थी।

एके-203 राइफलों को सेना और अन्य बलों में INSAS राइफलों की जगह पर शामिल किया जाएगा। ये राइफलें बीते तीन दशकों से सेना का हिस्सा हैं और इनकी जगह पर नए हथियारों की मांग लंबे समय से की जाती रही है। पुतिन के इस दौरे में S-400 मिसाइल सिस्टम की भी पहली खेप पहुंच सकती है। रूसी अधिकारियों का कहना है कि एयर डिफेंस सिस्टम के कुछ कंपोनेंट्स के एक्सपोर्ट की शुरुआत पहले ही हो चुकी है।

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