लेखक की कलम से
उनसे क्या मिलें हम…
शायरी
याद की हर रात बड़ी होती है
शमा की याद नगीने में जड़ी होती है
कौन कहता है कि मैंने हुस्न को देखा है
उसके चेहरे पे नकाब पड़ी होती है।
हम तो उनसे मिलते हैं
जो किसी से न मिलते हैं
उनसे क्या मिलें हम
जो हर किसी से जा मिलते हैं।
©ममता गर्ग, ठाकुरगंज, लखनऊ, उत्तरप्रदेश