लेखक की कलम से
कोहरामयी माघ मास का स्वागत
कुहासे की चादर में वक्त का पहिया लिपटा है
कर्म पथ पर चला मुसाफ़िर घर अपने दूर
गांव समाज परिवार की रक्षा करने को है मजबूर
सर्द हवाओं ने है रोका तन मन की इच्छाओं को
कर्त्तव्य के आगे सब ठिगना है वही मशहूर!
©लता प्रासर, पटना, बिहार