लेखक की कलम से
सिहरती सुबह मुबारक
सही रास्ते जा रहा था मुसाफ़िर
किसी ने बीच में गुमराह कर दिया
मंजिल पास थी जो दूर हो गई
आसान रास्ता फिर से हमराह कर दिया!
©लता प्रासर, पटना, बिहार
सही रास्ते जा रहा था मुसाफ़िर
किसी ने बीच में गुमराह कर दिया
मंजिल पास थी जो दूर हो गई
आसान रास्ता फिर से हमराह कर दिया!
©लता प्रासर, पटना, बिहार