लेखक की कलम से

कृष्ण …

यत्र -तत्र-सर्वत्र कृष्ण है

मन में कृष्ण, तन में कृष्ण

नयनों के दर्पण में कृष्ण

जित देखो उत कृष्ण, कृष्ण है।

 

गोकुल का लाल है कृष्ण

नंद का गोपाल है कृष्ण

देवकी का दुलारा कृष्ण

यशोदा का राजदुलारा कृष्ण

 

जित देखो उत कृष्ण, कृष्ण है।

 

गौवन का चरवैया कृष्ण

गोवर्धन रखवैया कृष्ण

ग्वालों का सखा है कृष्ण

माखन का चोरवैया कृष्ण

 

जित देखो उत कृष्ण ,कृष्ण है।

 

राधा का मनभावन कृष्ण

गोपियन रास रचैया कृष्ण

वंशी का बजवैया है कृष्ण

मोरमुकुट मकराकृत कृष्ण

 

जित देखो उत कृष्ण, कृष्ण है।

 

जल में कृष्ण, थल में कृष्ण

अवनि और अंबर में है कृष्ण

लय है कृष्ण, धुन है कृष्ण

सूर के संगीत है कृष्ण

 

जित देखो उत कृष्ण ही कृष्ण।

 

आस है कृष्ण ,विश्वास भी कृष्ण

राग है कृष्ण ,अनुराग भी कृष्ण

शब्द भी कृष्ण, अर्थ भी कृष्ण

गीता का तो ज्ञान भी कृष्ण

 

जित देखो उत कृष्ण, कृष्ण है

मन में कृष्ण, तन में कृष्ण

नयनों के दर्पण में कृष्ण

यत्र-तत्र-सर्वत्र है कृष्ण

 

 

©सुप्रसन्ना झा, जोधपुर, राजस्थान         

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