“घर वापसी”
जश्न मन रहा है
उनकी घर वापसी का
जो छुपा के गये थे
रणनीति का खंजर
खुश हो गया है परिवार
दिखा दिया छलनी को
छलने का मंजर!
मगर.. क्या सच में
यही होती है घर वापसी!
एक आम आदमी
झोले में सब्जी ले के
कर लेता है घर वापसी
एक मरीज की छुट्टी पर
हो जाती है घर वापसी
और बहुत से मौके पर
नहीं हो पाती घर वापसी
जैसे बाहर किसी दुर्घटना में
जान चली जाए!
या फिर समय का कृष्ण
मथुरा छोड़ जाए
राह देखती रहे यशोदा
राधा और गोपियां
और जा बसें द्वारिका में बंशी बजैय्या
हम दफ्तर से घर आएं
तो कह लो
छोटी-सी घर वापसी
पर सबसे बड़ी होती है
वह घर वापसी
जब देश का जाबांज प्रहरी
अपनी जान पर खेल जाए
और उसका शहीदी तन घर वापस आए
सौ सौ सलाम उनकी घर वापसी पर
और भी बहुत बड़ी थी
वह घर वापसी
जब प्रभु राम लंका विजय करके
चौदह वर्ष बाद
अयोध्या आए थे
उस घर वापसी की खुशी
रघुकुल और अयोध्या में ही नहीं
आज तक पूरा देश मनाता है
खुशी हो जाती है दीपावली
हर आंगन जब दिये सजाता है
मुझे नहीं मालूम
कैसे हुई होगी
विभीषण की घर- वापसी ?
आदमी तन से बाहर जाता है
और मन से घर वापस आता है
क्योंकि हर आदमी अपने घर को मन से बनाता है
मगर जब घर का मन टूट जाता है
फिर कैसे भी वापस आओ
मन का घर कहां बन पाता है!