सूख चुकी है नदियां सारी …
सूख चुकी है नदियां सारी
सूख गए तालाब- कुएं
प्यास से प्यासी,
प्यासी तरस रही धरती – आकाश
जल संरक्षण का यत्न करो
सूखी मलबों से भरी
नदियों – नालों को
मलबा खोद
छोटे- छोटे बांध बना
जल संरक्षण को साध्य करो
नदियों का सम्मान करो
मां से मनोकामना,
मनोकामना मांगने वालों
पुष्कर, इंद्रदमन, गायत्री, सावित्री, बारात
का उद्धार करो
सूख चुकीं हैं नदियां सारी
सूख गए तालाब- कुएं
प्लास्टिक, मिट्टी मलबों से भरे
तालाब- कुएं खोदकर,
खोदकर तैयार करो
अभी समय है
सही समय है
जागो- उठो
मातृ भूमि के लाल
नदियों, तालाबों, कुओं को
साफ करो
जल धारण हेतु,
हेतु तैयार करो
मातृभूमि है पुकारती
वर्षा काल मे बाढ़
बाढ़ से बचने का
यही यत्न है
यत्न करो
भू- गर्भ में छिपा हुआ
जल तो तुमने पी डाला
अब तो थोड़ा शर्म करो
“जल” विश्व युद्ध से बचने का
जल संरक्षण का संधान करो
केवल यही उपचार सही
जल संरक्षण का प्रचार करो
जन- जन का,
जन- अभियान करो,ल
प्यास से प्यासी,
प्यासी धरती
जल वीरों का आवाहन करती
सूख चुकी है नदियां सारी
सूख गए तालाब – कुएं
प्यास से प्यासी,
प्यासी तरस रही धरती- आकाश……
नदियों का सम्मान करो.
©डॉ. सोमनाथ यादव, बिलासपुर, छत्तीसगढ़