लेखक की कलम से

सावन आने वाला है ….

 

ओ री सखी सावन आने वाला हैं,

प्यासी धरती का मन फिर से

हर्षाने वाला है।

बादल फिर से छा जाएंगे,

बिजली भी तो चमकाएगे,

छत पर फिर सब जन आ जाएंगे।

 

ओ री सखी सावन आने वाला हैं,

कोयल भी कूकायेगी, मेंढक भी

तो टरायेगे, मोर पपैया भी

फिर से वन-वन में इतरायेगे,

बागों में झूले लग जाएंगे,

परदेसी फिर घर वापस आएंगे ।

 

ओ री सखी सावन आने वाला हैं,

झरने फिर से झराएगे,

नदियां नाले भी भर जाएंगे ।

गोते खाती नदियां भी लहरों

संग समुद्र से मिलने आएगी,

 

ओ री सखी सावन आने वाला हैं,

नई उमंगे नई तरंगे,

नवोड़ा फिर पीहर आएगी।

सुखी धरती को फिर से धानी

चुनरिया ओड़ाने वाला है।

ओ री सखी सावन आने वाला हैं।

 

 

©कांता मीना, जयपुर, राजस्थान                 

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