शहीद करतार सिंह सराभा को दी गई श्रद्धांजलि…
राष्ट्रीय सैनिक संस्था एनसीआर के संयोजक राजीव जोली खोसला ने शहीद करतार सिंह सराभा के 107 में शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि शहीद करतार सिंह का जन्म लुधियाना के पास सरावा गांव में हुआ। वे वह अमेरिका चले गए थे। वहां उन्होंने महसूस हुआ जब उनकी तलाशी ली गई और कहा कि तुम गुलाम देश से आते हो इसलिए तुम्हारी तलाशी ली गई। उन्हें यह बड़ा बुरा लगा और उन्होंने अमेरिका में रहकर 1913 में गदर पार्टी की स्थापना की। जिससे विदेश रहने वालों को एकजुट किया जा सके। उन्होंने तकरीबन 8,000 विदेश में रहने वाले भारतीय भारत में आ गए और छुपते छुपाते अंग्रेजों पर धावा बोल दिया। जिससे कुछ साथियों के लिए गिरफ्तार कर लिया।
करतार सिंह सराभा को भी अफगानिस्तान भाग जाने की सलाह दी गई, मगर वे नहीं माने। करतार सिंह व उनके साथियों को गिरफ्तार कर हत्या डाका डालने और शासन को उलटने का आरोप लगाया। उन पर लाहौर षड्यंत्र के नाम से मुकदमा चलाया गया। जहां उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। उनके दादा ने उन्हें कहा बेटा तुमने यह क्या किया। सभी रिश्तेदार तुम्हें बेवकूफ कह रहे हैं। करतार सिंह ने जवाब दिया “इनमें से कोई किसी ना किसी बीमारी से मर गया, लेकिन देश की खातिर मरने का सौभाग्य सिर्फ मुझे प्राप्त हुआ”।
16 नवंबर 1915 को करतार सिंह व उनके छह साथियों को फांसी दे दी गई। आज इस अवसर पर राष्ट्रीय सैनिक संस्था पंजाब के प्रभारी और नेशनल चेयरमैन ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल कुंवर ओंकार सिंह नरूला, कुलविंदर सिंह, बॉबी गुलाटी, करमजीत सिंह, पूनम शर्मा अपने साथियों के साथ सराब गांव में जाकर श्रद्धांजलि दी। आज की मौजूदा स्थिति में भी भारतीय नौजवानों को जो विदेश में पढ़ रहे हैं। उनको करतार सिंह सराभा की गाथा से प्रेरणा लेनी चाहिए कि भारत के प्रति अपने देश के प्रति उन्होंने किस प्रकार जंग लड़कर अपनी जान गवाही जिन पर इन्हें नाज था।