लेखक की कलम से
अपार शक्ति …
शब्दों में अपार शक्ति
आत्मशक्ति बन सकती,
बदलती जीवनागति,
नश्वर जगत को अद्भुत
कर्मस्थली बना सकती….
शब्दों में अपार शक्ति
रोतो को हँसा सकती,
उजड़ो को बसा सकती,
भिखमंगों को कर्मयोगी,
दुराचारी को सदाचारी,
सत्मार्ग को दर्शाती,
महामुनि तक बनाती…..
शब्दों में अपार शक्ति
जीवन नरकीय बनाती
मौत का तांडव रचाती
संस्कृति का गला दबाती
उत्थान बाधित कराती,
मानव को राक्षसी बनाती
सृष्टि को मरुभूमि बनाती…..
शब्दों में अपारशक्ति
ये ब्रह्मा की वाणी,
गीता की कहानी,
पुराणों की व्याख्यानी,
ये इच्छाशक्ति पर निर्भर
इसकी प्रकृति
सृजन या संघार
की हो…..
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता