लेखक की कलम से
ख़ुद स्वर देना …
मुक्तक…
धूम मचाती नये साल की,
नूतन बेला आयी है।
नौजवान बच्चे बूढ़ों के,
मन में मस्ती छायी है।।
छोड़ो यारो पिछ्ली बातें,
मन में बात न रख्खें कुछ।
नये साल में नमी उमंगों,
ने ले ली अंगड़ाई है।।
क्या गुजरी क्या बीती हम पर, छोड़ें सब ये बात गयी।
रात गुज़र जाती अंधियारी,
जाती दे कर भोर नयी।।
बीस बीस की साल अलविदा,
जाते जाते वादा कर।
कहना जब इक्वीस मिले तो,
ले कर आए ख़ुशी कयी
©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड