लेखक की कलम से

संबंध …

 

माना कि अनुबन्ध नहीं हैं

क्या अपने संबंध  नहीं हैं?

 

प्रश्न व्यर्थ    हो जाते सारे

जब उत्तर   पाबंद नहीं हैं

 

मात्राओं के  मूल्य नहीं हैं

गर जीवन मे  छंद नहीं हैं

 

भ्रम है काग़ज़ के फूलों में

उनमें कोई      गंध नहीं है

 

गर्भ हीन हो गई   वाटिका

फूलों मे     मकरंद नहीं है

 

है प्रगाढ़ता        संबंधों में

प्रेम द्वार गर     बंद नहीं हैं

 

रस विहीन   संबंध सभी हैं

जो थोड़ा सा   द्वन्द्व नहीं है..

 

 

©दिलबाग राज, बिल्हा, छत्तीसगढ़                              

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