लेखक की कलम से
आ रहा है नया साल …
आ रहा है नया साल फिर से, स्वागत है तुम्हारा हमारी इस अनोखी दुनिया में,
अपने साथ खुशियों का उपहार तुम लाना, जो पिछले साल चोटें लगीं हैं सबको, उसका मरहम तुम बनकर आना,
तुमसे अच्छाई की उम्मीदें लगा बैठे हैं, मुरझाए चेहरों पर तुम खुशियां लाओगे, ये आस सब तुमसे लगा बैठे हैं,
उन उम्मीदों को तुम ना तोड़ना, मुंह ना अब तुम किसी से मोड़ना, मुरझाए चेहरों को खिलखिला देना,
सबको दुखों को दूर कर देना, दिल में अब कोई ना गहरा दर्द देना, ये विनती तुम सुन लेना
आए हो मेहमान बनकर, तुम्हारी अच्छी मेहमाननवाजी हम कर देंगे, पर तुम अच्छे बनकर ही हमारी दुनिया में रहना,
सबके जख्म अभी ताजा हैं, उन पर नमक ना छिड़क देना, प्यार हम भी तुमसे करेंगे, प्यार तुम भी सबसे करना।
©श्वेता शर्मा, आगरा, उत्तर प्रदेश