धर्म

फालुन गोंग अभ्यासियों पर चीन में वर्षों से हो रहा क्रूर दमन…

फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है) मन और शरीर का एक उच्च स्तरीय साधना अभ्यास है। फालुन गोंग में पांच सौम्य और प्रभावी व्यायाम सिखाये जाते हैं, किन्तु बल मन की साधना या नैतिक गुण साधना पर दिया जाता है। 

फालुन गोंग की शिक्षाएं सत्य – करुणा – सहनशीलता के नियमों पर आधारित हैं। फालुन गोंग के अनुसार ये विश्व की मूलभूत प्रकृति है जिसके अनुसार जीवन का अनुसरण करना चाहिए।  मन और शरीर की एक परिपूर्ण साधना पद्धति होने के कारण, फालुन गोंग अभ्यास से लोगों को कम समय में ही आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।

आज दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग फालुन गोंग का अभ्यास कर रहे हैं। भारत में भी फालुन गोंग सभी प्रमुख शहरों में लोकप्रिय हो रहा है। यह अभ्यास पूरी तरह नि:शुल्क सिखाया जाता है।

फालुन गोंग की शुरुआत 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा चीन की गयी। इसके स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शिक्षाओं के कारण फालुन गोंग चीन में इतना लोकप्रिय हुआ कि 1999 तक करीब 7 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास करने लगे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मेम्बरशिप उस समय 6 करोड़ ही थी।

चीन में फालुन गोंग की बढ़ती लोकप्रियता चीनी कम्युनिस्ट शासकों को खलने लगी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के प्रमुख जियांग जेमिन ने फालुन गोंग की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसे अपने प्रभुसत्ता के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को इस पर पाबंदी लगा दी और इसके अभ्यासियों पर क्रूर दमन आरम्भ कर दिया जो आज भी जारी है।

पिछले 22 वर्षों से, फालुन गोंग अभ्यासियों का अवैध रूप से अपहरण किया जाता है, उन्हें जबरन श्रम शिविरों में भेजा जाता है, और यहां तक कि उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है। चीन में फालुन गोंग के खिलाफ बड़े पैमाने पर राज्य द्वारा संचालित घृणा प्रचार अभियान भी चलाये गए हैं।

फालुन गोंग के दमन की जांच के लिए विश्व संगठन (WOIPFG) द्वारा फालुन गोंग अभ्यासी गाओ रोंगरोंग की मृत्यु पर जारी रिपोर्ट के अनुसार:

“37 वर्षीय फालुन गोंग महिला अभ्यासी गाओ रोंगरोंग की 16 जून, 2005 को शेनयांग शहर में चीन चिकित्सा विश्वविद्यालय के अस्पताल में अथक यातनाओं को झेलने के बाद मृत्यु हो गई। मिंगहुई के अनुसार, गाओ 54वीं फालुन गोंग अभ्यासी थी जिसकी लिओनिंग प्रांत के शेनयांग शहर में उत्पीड़न द्वारा मृत्यु हो गयी।

मृत्यु से पहले, गाओ को शेनयांग लोंगशान लेबर कैंप में हिरासत में लिया गया था, जहां उसे चेहरे पर 7 घंटे बिजली का झटका दिया गया। गाओ के विकृत चेहरे की तस्वीर ने दुनिया को चौंका दिया था।

प्रशासन द्वारा उसका फिर से अपहरण कर लिया गया और हिरासत में उसकी मृत्यु हो गई, क्योंकि उसकी तस्वीर को सार्वजनिक कर दिया गया था और उसकी पीड़ा दुनिया को पता चल गई थी। गाओ का मामला चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के दुष्कर्मों को उजागर करता है और लोगों की चेतना और मानवता को झकझोर देता है।”

गाओ का मामला आइस-बर्ग का केवल सिरा है।

17 जून 2019, लंदन में, एक स्वतंत्र न्यायाधिकरण ने सर्वसम्मति से निष्कर्ष निकाला है कि चीन एक “आपराधिक राज्य” है जिसने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं। कैदियों को उनके अंगों के लिए बड़े पैमाने पर मार दिया गया है – जो अब भी जारी है, और यह कि फालुन गोंग अभ्यासी अंग आपूर्ति के एक – और शायद मुख्य – स्रोत रहे हैं।

CCP द्वारा फालुन गोंग का दमन और नरसंहार मानवता के खिलाफ अपराध है। इस क्रूर अत्याचार को तत्काल रोका जाना चाहिए। भारत के नागरिकों को भी चीन में हो रहे मानवाधिकार हनन की निंदा करनी चाहिए और फालुन गोंग अभ्यासियों का समर्थन करना चाहिए।

इस याचिका पर हस्ताक्षर करके आप चीन में फालुन गोंग अभ्यासियों के जीवन में बदलाव लाने और 22वर्षों के दमन को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं:

www.change.org/supportfalungonghindi

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