छत्तीसगढ़बिलासपुर

अटल विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य प्रो. वाजपेयी फिजी में बढ़ाएंगे हिंदी का मान …

बिलासपुर। हिंदी को भावनात्मक धरातल से उठाकर एक ठोस एवं व्यापक स्वरूप प्रदान करने में आचार्य प्रो. वाजपेयी का विशेष योगदान रहा है। हिंदी के प्रति उनका विशेष समर्पण है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में न केवल हिंदी बल्कि छत्तीसगढ़ी में भी नोटशीट लिखना शुरू किया है।

विश्वविद्यालय में लगभग सभी काम हिंदी में ही होता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उन्होंने हिंदी को विश्व विद्यालय की प्रशासनिक भाषा बनाया था। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने उनका सम्मान भी किया था। अधिनियम, अध्यादेश विनियम इत्यादि का हिंदी में अनुवाद कर राज्य शासन से अनुमोदित कराने का प्रयास किया था। संस्था के साथ यह राज्य एवं देश के लिए गौरव का क्षण होगा।

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य प्रो. अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी विश्व पटल पर हिंदी का मान बढ़ाएंगे। फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में शामिल होने राष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडल में उनका मनोनयन हुआ हैं। वे तीन दिनी सम्मेलन में हिंदी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक विषय पर अपनी बात रखेंगे।

आचार्य प्रो. वाजपेयी शासकीय प्रतिनिधि मंडल में शामिल होंगे। 13 फरवरी को नई दिल्ली एयरपोर्ट से फिजी के लिए रवाना होंगे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का मुख्य विषय हिंदी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक है। 10 उप-विषयों पर समानांतर सत्र निर्धारित किए गए हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन की संकल्पना राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा 1973 में की गई थी।

इस संकल्पना के फलस्वरूप, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के तत्वावधान में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 से 12 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया। सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्यों में तत्कालीन वैश्विक परिस्थिति में हिंदी को मानव एवं राष्ट्र सेवा का साधन बनाना तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ में आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाकर विश्व भाषा के रूप में स्थापित करना है।

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