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दिग्गज वकील फली एस नरीमन का निधन,हॉर्स ट्रेडिंग को कहते थे इंसानी गलती पर घोड़ों का अपमान

नईदिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के वकील और देश के पूर्व एएसजी फली एस नरीमन का 95 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया. जानकारी के अनुसार वे पिछले काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे एक लीविंग लीजेंड थे. जिन्हें कानून और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोग हमेशा याद रखेंगे.

फली एस नरीमन 1972 से 1975 तक इंदिरा सरकार में अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल रहे. उन्होंने एएसजी के पद जून 1975 में इस्तीफा दे दिया. जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था. जानकारी के अनुसार एएसजी रहते हुए कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में सरकार की पैरवी की. जिनमे एनजेएसी, एससीएओआर एसोसिएशन केस और अल्पसंख्यकों के अधिकार से जुड़ा टीएमए पीएआई केस भी अहम था.

देश सेवा में उनके उत्कृष्ट कार्यों के सरकार ने उन्हें 1971 में पदम् भूषण और 2007 में पदम् विभूषण सम्मान से सम्मानित किया. इतना ही नहीं नरीमन ने एक किताब भी लिखी थी जिसका बिफोर मेमोरी फ्रेंडस था. जानकारी के अनुसार नरीमन ने अपने करियर की शुरुआत 1950 में बाॅम्बे हाईकोर्ट के वकील के तौर पर की. 1961 में उन्हें वरिष्ठ वकील नामित किया गया. उन्होंने 70 साल से ज्यादा समय तक कानूनविद के तौर पर भी काम किया.

नरीमन के निधन पर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि वे एक लिविंग लीजेंड थे, जिन्हें कानून और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोग हमेशा याद करेंगे। अपनी उपलब्धियों के अलावा, वह अपने सिद्धांतों पर अटल रहे। सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर उन्हें श्रद्धांजली लिखा है कि-' वह कहते थे कि इंसानों की गलती पर हॉर्स ट्रेडिंग वाक्य का इस्तेमाल घोड़ों का अपमान है, जो बहुत वफादार जानवर हैं। वह इतिहास के गूढ़ रहस्य खोज निकालते थे और बोलते समय अपनी बुद्धि से उन्हें अतुलनीय ढंग से जोड़ते थे.'

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए भारत का महान सपूत बताया। सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है कि,'नरीमन न केवल हमारे देश के सबसे महान वकीलों में से एक थे, बल्कि वह बेहतरीन इंसान भी थे। वह सबके लिए एक महान व्यक्ति की तरह खड़े रहते थे। उनके बिना कोर्ट के गलियारे कभी पहले जैसे नहीं रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे'

आपातकाल के विरोध में छोड़ा पद
माना जाता है कि नरीमन साल 1975 में घोषित हुए आपातकाल के सरकार के फैसले से भी खुश नहीं थे। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार की तरफ से लिए गए इमरजेंसी के फैसले के विरोध में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के पद से भी इस्तीफा दे दिया था।

ऐसा रहा सफर
1950 में बॉम्बे हाईकोर्ट से वकील के तौर पर शुरुआत करने वाले नरीमन 1961 में सीनियर एडवोकेट के तौर पर नामित किया गया था। उनका कानूनी करियार 70 वर्षों से भी ज्यादा का है। करीब दो दशकों के बाद उन्होंने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद मई 1972 में ही उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया बनाया गया था।

कहा जाता था भारतीय न्यायपालिका का भीष्म पितामह
पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता नरीमन को भारतीय न्यायपालिका का भीष्म पितामह भी कहा जाता था। कानूनी दिग्गज होने के साथ-साथ नरीमन राज्यसभा का हिस्सा भी रहे और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं। इनमें 'Before the Memory Fades', 'The State of the Nation', 'India’s Legal System: Can it be Saved?' और 'God Save the Hon’ble Supreme Court' का नाम शामिल है।

उनके निधन पर सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी समेत कानूनी क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गजों ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा, 'एक युग का अंत हुआ। एक लीजेंड जो हमेशा कानून और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों के दिल और दिमाग में रहेंगे।' उन्होंने कहा कि तमाम उपलब्धियों के अलावा वह हमेशा सिद्धांतों के लिए डटे रहे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई दूसरा फली नरीमन न हुआ और न होगा।

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