जीएसटी के साये में कच्चे बिलों से व्यापार बदस्तूर जारी: मूल प्रश्न अब भी वही है….
आलेख- विकास पाण्डेय
जब देश में नोटबंदी हुई तब सरकार की ओर से सगर्व दावा था कि इससे कालेधन का कारोबार रूक जाएगा, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और समानांतर व्यवस्था चलाने की सोच रखने वालों ( आतंकवाद और नक्सली गतिविधियों ) का कमर टूट जाएगा। उसके बाद जीएसटी की व्यवस्था लागू करते समय भी सरकारी दावा था कि मुनाफाखोरी और बिना बिलिँग (कच्चे बिलों) का कारोबार समाप्त हो जायेगा। इन दोनों व्यवस्थाओं को लागू हुए काफी समय बीत गया इतना तो कि इनको लेकर किए गए दावों की पड़ताल की जा सके। लेकिन सरकारी दावे केवल दावे ही रह गए। जमीनी हालात वही है जो पहले थी। यानी मूल प्रश्न अब भी वही और अपनी जगह पर जवाब की प्रतिक्षा में है।
मोदी सरकार के दूसरी पारी की दूसरी बजट में अब जीएसटी को लेकर बड़े सुधार प्रस्तावित किये गये हैं। 01 अप्रैल, 2020 से सरल जीएसटी रिटर्न लागू किया जाएगा। डमी या अस्तित्व में नहीं रही यूनिटों को हटाने के लिए करदाताओं की आधार के अनुसार सत्यापन की शुरुआत होगी। उपभोक्ता इनवाइस के लिए गतिमान क्यू-आर कोड का प्रस्ताव भी लाया गया है। मूल प्रश्न अब भी वही कि आखिर कोई कारोबारी बिना पक्के बिल के किसी सामान की खरीदी-बिक्री न कर सके यह कैसे संभव होगा। इसका कहीं कोई जवाब नहीं दिखायी पड़ता। उपभोक्ता इनवाइस क्यूआरकोड किसके लिए और किस तरह से यह कच्चे बिलों को रोकने में सफल हो पायगा यह स्प्ष्ट नहीं है।
जीएसटी व्यवस्था और बाजार, एक जमीनी हालात यह भी है
देश भर के बाजारो मे रोजाना रोजमर्रा से जुड़ी चीजों से लेकर बड़ी बडी गाड़ियों-मशीनो, कल-पुर्जों और तरह-तरह के आयटमों का कारोबार किया जाता है जी एस टी आया तब से बाजार मे मंदी ने भी अपना असर दिखाया । बाजारो मे बिना बिलिँग कारोबार बदस्तूर जारी है। वहीं अधिकांश लोग अपने उपभोक्ता हितों को लेकर जागरूक नही हैं ऊपर से जो कुछ प्रतिशत हैं भी उन्हे ऐसे बिना बिलिँग कारोबार करने वाले व्यापारी अपनी मर्जी से पक्का व सही बिलिँग देने से कतराते है या फिर जी एस टी दायरे से बाहर होने का हवाला देकर बिल नही देने की बात कहते हैं । जिससे बड़ी आसानी से बिना बिल कारोबार की आड़ मे नकली-मिलावटी सामानो की बिक्री का खेल भी चलता आ रहा है। जिसे रोकने के लिए सरकार लाख दावे करे पर वर्तमान व्यवस्था से यह कहीं रुकता तो नही दिख रहा । लिहाजा जो हाल जी एस टी के पहले था वह अभी भी है।
कच्चे कागज़ पर चल रहा करोड़ों का कारोबार, ठगा जा रहा आदमी
वैसे तो सरकार ग्राहकों को जागरूक करने के लिए “जागो ग्राहक जागो” का मिशन चलाकर उपभोक्ताओं को किसी भी सामान के खरीदने पर पक्का बिल लेने की बात कहती है कि “यह हर ग्राहक का हक है” परन्तु इतना करने पर भी इन सब बातों का खास असर जमीनी स्तर पर नही हुआ क्योंकि चल रहे जागरूकता कार्यक्रम की पहुँच निचले स्तर पर नहीं रहा है । बाजारों मे हो रहे रोजाना कारोबार मे लगभग दुकानों में फिर चाहे वह दुकान कपडों की हो , लोहे सीमेंट या सोने चांदी, इलेक्ट्रानिक या किराने की, किसी भी दुकान में खरीददार को दुकानदार द्वारा ग्राहक को अपने से पक्का बिल नहीं दिया जाता। सारा लेनेदेन कच्चे सादे कागज पर करके लाखो-करोडों का कारोबार चल रहा है, जिसमें ऐसे दुकानदार स्वयं तो मुनाफा कमा रहे है और माला-माल हो रहे है,वही सीधे-साधे ग्राहक ठगे जा रहे है और साथ ही कर विभाग को का चुना लगाया जा रहा है।
लाचारी का सामना
जागरूकता अभियानों की असफलता के कारण अधिकांश ग्राहक तो अपने से ही पक्के बिलों की मांग दुकानदारों से नहीं करते हैं और जो कुछ प्रतिशत जागरूक लोग ऐसे दुकानदारों से पक्के बिलों की मांग करते हैं तो दुकानदार उन्हें सही पक्का बिल देने में आनाकानी करता है या फिर सामान कहीं और से खरीदने के लिए कह देता है। जब ग्राहक उस दुकानदार से दूसरे दुकानदार और ऐसे करते हुए वह कई दुकानदारों के यहां जाता है तो अधिकतर जगहों पर पक्का बिल देने को लेकर दुकानदारों का यही रवैया रहता है जिस कारण मजबूरन जागरूक ग्राहक भी ऐसे दुकानदारों की शिकायत करने की लंबी प्रक्रिया को लेकर लाचार होते हुए ऐसे दुकानदारों के करप्ट सिस्टम से समझौता कर लेता है।
वित्त मंत्रालय जीएसटी में बड़े सुधार प्रस्तावित
01 अप्रैल, 2020 से एक सरल जीएसटी रिटर्न लागू किया जाएगा। संसद में आज वर्ष 2020-21 का केन्द्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस पर अभी प्रयोग किया जा रहा है। इससे रिटर्न दायर करना सरल हो जाएगा। इसकी विशेषताओं शून्य रिटर्न के लिए एसएमएस आधारित फाइलिंग, समय से पूर्व रिटर्न फाइलिंग, उन्नत इनपुट कर ऋण प्रवाह और समग्र सरलीकरण शामिल है। वित्त मंत्री ने कहा कि रिफन्ड की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और मानव हस्तक्षेप के बिना इसे पूर्णतः स्वचालित किया गया है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि करदाताओं का आधार के अनुसार सत्यापन और अनुपालना में सुधार के लिए अनेक उपाय किए गए है। इससे डमी या अस्तित्व में नहीं रही यूनिटों को हटाने में सहायता मिलेगी।
उपभोक्ता इनवाइस के लिए गतिमान क्यूआर-कोड का प्रस्ताव है। जब क्यूआर कोड के जरिए खरीद हेतु भुगतान किया जाएगा तब जीएसटी मानदंडों को दर्शाया जाएगा। वित्त मंत्री ने इनवाइस की मांग करने के लिए उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नगद पुरस्कार की एक प्रणाली की परिकल्पना की गई है। इनवाइस और इनपुट कर क्रेडिट का मेल किया जा रहा है जहां 10 प्रतिशत या इससे अधिक बैमेल रिटर्न पाए जाते हैं। तो सीमाओं की पहचान की जाती है और उनका अनुशिलन किया जाता है।
मूल प्रश्न लेकिन अब भी वहीं है कि आखिर कच्चे बिलों के माध्यम से जारी कारोबार कैसे रूकेगा। उपभाेक्ता को बिल मांगने और माथापच्ची की जरूरत कब तक? कोई कारोबारी बिना बिल के कारोबार न कर सके इसके लिए क्या व्यवस्था की जा रही है और वह व्यवस्था ठोस धरातल पर कैसे उतरेगी?