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सितारे उतर आये धरती पर..

चेन्नई। ना जाने किस बिलैया के भागों से छींका टूटा और काव्य जगत के उज्जवल सितारे संध्या से पहले ही चेन्नई की धरती पर उतर आए और एक खुशनुमा और अनोखी काव्य गोष्ठी वेलाचेरी में विजय मोहन सिंह जी के घर पर संपन्न हो गई जो कि ऑनलाइन भी थी और ऑफलाइन भी..
दिल्ली से पधारे कवि श्री शैल भदावरी जी चेन्नई पधारे और उनसे मिलने आए बेंगलुरु से कविवर श्री नंद सारस्वत ‘स्वदेशी’ जी ने चेन्नई वालों से मिलने की इच्छा जाहिर की.. बस फिर क्या था आनन-फानन में श्री दिनेश कुमार जी ने एक लघु काव्य गोष्ठी का आयोजन कर डाला और श्रीमंत ईश्वर करुण जी की अध्यक्षता में श्री शैल भदावरी जी को मुख्य अतिथि और श्री नंद सारस्वत ‘स्वदेशी’ जी को विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मानित करते हुए स्वयं दिनेश जी ने संचालन की बागडोर संभाल ली.. एक और विशिष्ट अतिथि श्रीमती शिल्पा जैन जी इस गोष्ठी में साकार उपस्थित हुईं.. ईश्वर करुण जी सह परिवार श्रीमती इंदु झा और सुपुत्र मणि झा जी के साथ उपस्थित थे..
इधर हमारे परिवार में मेरे साथ सरला जी उपस्थित थी और हमारे नन्हे कलाकार निर्मोक्ष जी ने सभी का स्वागत सत्कार किया.. दीपशिखा जी और विशाल जी ने आव-भगत की कमान संभाली..
अल्प समय में आयोजित इस काव्य गोष्ठी ने एक विशाल रूप ले लिया और ऑनलाइन जुड़कर इस काव्य गोष्ठी को चार चाँद लगाने वाले काव्य प्रेमियों का परिचय इस प्रकार से है :
डॉ विद्या शर्मा, स्वीटी सिंघल ‘सखी’ बेंगलुरु; चंद्रा गंगवार, उत्तराखंड; अल्पना सिंह, कोलकाता; आर जे संतोष कुमार, सेलम; अरुणा मुनोत; संतोष श्रीवास्तव ‘विद्यार्थी’, सागर; शोभा चोरड़िया; मोहनलाल गंगवार, उत्तराखंड; उषा टिबड़ेवाल ‘विद्या’; डॉ मंजु रुस्तगी; विजय मोहन सिंह..
डॉ मंजू रुस्तगी जी ने सरस्वती वंदना से नव वर्ष की इस काव्य गोष्ठी का आगाज़ किया.. दिनेश कुमार जी ने अपने उत्कृष्ट संचालन से वाह-वाही लूटी और श्रीमती शोभा चोरड़िया जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया…
3 घंटे चली इस काव्य गोष्ठी में काव्य के सभी रंग देखने को मिले.. कवि श्री शैल भदावरी जी ने 25 मिनट के काव्य पाठ में हास्यरस से प्रारंभ किया और फिर वीर रस से सभी को मंत्रमुग्ध करते हुए वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धा सुमन अर्पित किए..
श्री नंद सारस्वत ‘स्वदेशी’ जी ने भी हास्य रस से प्रारंभ करते हुए अपनी ओजस्वी वाणी से, करुण रस से ओतप्रोत एक मार्मिक कविता द्वारा सीता मैय्या के प्रति एक अनोखे अध्याय की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया..
सभी काव्य प्रेमियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से श्रोताओं के ह्रदय को झंकृत किया और श्रीमंत ईश्वर करुण जी ने अंत तक साथ दिया और हम सभी का मानोबल बढ़ाते हुए बहुमूल्य आशीषों से नवाज़ा..
कुल मिलाकर आज की काव्य गोष्ठी खुली आंखों से देखा गया एक स्वप्न सिद्ध हुई.. जिसे ‘नई उड़ान : कवियों की जुबान’ का नाम दिया गया..

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